आगरा। तुर्की और सीरिया में फरवरी 2023 को आये भूकंप के कारण भारी जानमाल की हानि हुई थी, इस विभीषिका के कारण तुर्की की स्वास्थ्य और नागरिक सेवाएँ लगभग ध्वस्त हो गयी थी। भारत सरकार ने आपदाग्रस्त तुर्किये को ‘सैन्य स्वास्थ्य सेवायें‘ उपलब्ध करवा के भरपूर सहायता की। मानवीय आधार पर ‘आप्रेशन दोस्त’ अभियान के तहत इस सहायता को ग्राउंड जीरो पर उपलब्ध करवाये जाने का दायित्व आगरा में स्टैटिक फर्मेशन वाले सेना की 60 पैरा फील्ड हॉस्पिटल को सौंपा गया।
अमृत विद्या-एजुकेशन फॉर इमार्टिलिटी सोसाइटी और एसिड पीड़िताओं की सहायता के लिये शीरोज हैंगआउट कैफे संचालित करने वाली छांव फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में फतेहाबाद रोड होटल कॉम्प्लेक्स में स्थित शीरोज हैंगआउट कैफे में 05 जून को आयोजित संवाद के तहत ‘’आप्रेशन दोस्त’ के नेतृत्वकर्ता ले.कर्नल यदुवीर सिंह ने स्मृतियां ताजा करते हुए कहा कि मूल रूप से वह और उनके साथी सैनिक है जो आदतन चुनौतियों से जूझने की प्रवृत्ति वाला होता है। हम जूझे और अपने लक्ष्य को प्राप्त किया।
उन्होंने बताया कि आदेश मिलते ही 60 पैरा फील्ड हॉस्पिटल की 99 सदस्यीय टीम ने तुर्की में ‘आप्रेशन दोस्त’ के तहत आपदा में फंसे नागरिकों की मदद के अभियान में अपना दायित्व निर्वहन शुरू कर दिया। अपने राहत अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये भारतीय सैनिक दल ने इस्कंदर और हटे में फील्ड हॉस्पिटल स्थापित किये। 30 बिस्तर के इस अस्पताल में 3,600 मरीजों का उपचार किया। इनमें अधिकांश मामले घायलों के ऑपरेशन संबधित थे। कुछ में मेजर आप्रेशन भी जरूरी थे, इन्हें भी अंजाम दिया गया।
लै.कर्नल यदुवीर सिंह ने बताया समय से सूचना मिलने और शीघ्रता से आपदा ग्रस्त क्षेत्र में डिप्लायमेंट किसी भी अभियान के लिये सबसे बडी जरूरत होती है। सरकार के द्वारा दृढ़ता से निर्णय लिए जाने से हमें वहां काम शुरू करने का पर्याप्त अवसर मिल सका। जो भी उपचार को आया स्वास्थ्य लाभ करके ही वापस गया।
लै.कर्नल सिंह ने कहा कि हम जानते थे कि आपदा पीडित असहाय है और हमारा फील्ड अस्पताल ही उनके लिये विश्वास का केन्द्र है।मैं गर्व से कह सकता हूं कि पूरी टीम ने पूरी निष्ठा से दायित्व निर्वहन किया। मुझे संतोष है कि हमारी यूनिट ने 60 पैरा के फील्ड हास्पिटल आगरा ने उस परंपरा और गौरव को ‘आप्रेशन दोस्त’ के माध्यम से कायम रखा। हर ऑपरेशन को अंजाम देने के दौरान अनेक नये अनुभव होते है, ऑपरेशन दोस्त के दौरान भी अनेक अनुभव हुए। भूकंप के बीच, कई रात तक लगातार कार्य किया। भाषा और तुर्की की संस्कृति की न जानकारी होते हुए हमने इंसानियत का पुल बनाकर अपना कार्य किया। अपने कार्य को अंजाम देकर जब भारत लौटे तो ये अनुभव और तुर्किये के नागरिकों की सदभावनाये लेकर लौटे जो हम सभी के गर्व और गौरव का विषय हैं।
ले.कर्नल सिंह ने कहा कि शीरोज हैंगआउट में आयोजित ‘संवाद कार्यक्रम’ उनके लिये नया और न भूलने वाला अनुभव है।
एक साल पूरे होने पर एसिड अटैक सर्वाइवर्स और उपस्थित लोगों ने ले.कर्नल सिंह के साथ केक काट कर 60 पैरा के कार्य का अभिवादन किया। श्रीमती पूजा यदुवीर ने बताया के एक फौजी ऑफिसर की पत्नी के लिए, ऑपरेशन में साथ गए जवानों के परिवारों को देखना और उनको ऑपरेशन दोस्त के बारे में बताना, उनकी जरूरत और सुख दुख में साथ देना महत्वपूर्ण था।
भूकंप की विभीषिका
उल्लेखनीय है कि 6 फरवरी, 2023 को सुबह 4ः17 बजे, तुर्की के दक्षिण-पूर्व में सीरियाई सीमा के पास 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था। यह भूकंप इतना जोरदार था कि इसके झटके साइप्रस, लेबनान, और मिस्र जैसे पड़ोसी देशों तक भी महसूस किए गए. इस भूकंप से तुर्की के 85 मिलियन नागरिकों में से 13 मिलियन प्रभावित हुए. अधिकारियों के मुताबिक, इस भूकंप में 36,000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। इस भूकंप के बाद, तुर्की के अदाना, अदियमान, दियारबाकिर, गजियान्तेप, हटे, काहरमनमारस, किलिस, माटल्या, उस्मानिये, और सानलिउर्फा जैसे शहरों में इमारतें ढह गईं और व्यापक क्षति हुई. वहीं, सीरिया के अलेप्पो, इदलिब, लताकिया, और हम्मा प्रांतों में भी इमारतें ढह गईं और ग्रामीण दमिश्क में भी व्यापक क्षति हुई थी।
ले. कर्नल यदुवीर सिंह का है आगरा से संबंध
ले. कर्नल यदुवीर सिंह आगरा के रहने वाले हैं, उन्होने नर्सरी से 12 क्लास तक की शिक्षा, सैंट पीटर्स कॉलेज आगरा से वर्ष 1992 (12जी) में पास की है। बीएससी आर बी एस कॉलेज से उसके बाद वर्ष 1995 में एफमसी में एमबीबीएस मे दाखिला मिला। वर्ष 2001 में एएमसी- आर्मी मेडिकल क्रॉप्स में कमीशन प्राप्त किया। ले. कर्नल यदुवीर सिंह कम्यूनिटी मैडिसिन में एमडी के साथ एपिमेडोलोजी में डिप्लोमा कर चुके हैं। उनको कम्यूनिटी मैडिसिन के एसोशिएट प्रोफेसर का दर्जा प्राप्त है। उन्होने फौज में कई पदों के साथ कई यूएन पीस मिशन और आपदा प्रबंधन में भारत का प्रतिनिध्व किया है. वर्ष 2019 से 60 पैरा फील्ड हॉस्पिटल के सीओ हैं।
60 पैरा फील्ड हॉस्पिटल का स्वर्णिम इतिहास
60 पैराशूट फील्ड एम्बुलेंस की स्थापना 10 अगस्त 1942 को सिकंदराबाद में 60 इंडियन फील्ड एम्बुलेंस के रूप में हुई थी और 2 भारतीय एयर बोर्न डिवीजन के साथ बर्मा में हुई सैन्य कार्रवाई भाग लिया था।
इन ऑपरेशनों में यूनिट के प्रदर्शन के कारण उसे पैरा ड्यूटी के लिए चुना गया। इसे 1945 में पैरा फील्ड एम्बुलेंस में परिवर्तित कर दिया गया था। अगस्त 1946 में एक टुकड़ी एडीएस ने बंगाल की खाड़ी में एक द्वीप हट्या में बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए पहले भारतीय हवाई कार्य के रूप में ऑपरेशन-हट्या में भाग लिया था। सिक्सटी ने 1948-49 के कश्मीर अभियानों के दौरान भी विशिष्टता के साथ सेवा की, जहां इसने प्रसिद्ध श्करियप्पा अस्पतालश् का निर्माण और रखरखाव किया।
पैरा 60, 1950 में 50 (1) पैरा ब्रिगेड का हिस्सा बन गया। इसे राष्ट्रमंडल डिवीजन के एक हिस्से के रूप में नवंबर 1950 में संयुक्त राष्ट्र बलों में शामिल होने के लिए कोरिया भेजा गया था। पैरा 60 ने कोरिया के मुनसानी में संयुक्त राज्य सेना की 187 आरसीएफ के साथ एक कठिन एयरबोर्न ऑपरेशन ‘टॉमहावाक’ में भाग लिया। कोरिया में यूनिट को दो महावीर चक्र, छह वीर चक्र, एक बार टू वीर चक्र और 25 मेंशन-इन-डिस्पैच दिए गए।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कोरियाई अभियान में किए गए महान कार्यों की मान्यता में 10 मार्च 1955 को सिक्सटी को राष्ट्रपति ट्रॉफी प्रदान की।
सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार-2024 से सम्मानित
आपदा प्रबंधन में उत्कृष्ट कार्य के लिए वर्ष 2024 की संस्थागत श्रेणी के लिए 60 पैराशूट फील्ड हॉस्पिटल, उत्तर प्रदेश को सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार-2024 के लिए चुना गया है।
भारत सरकार ने आपदा के क्षेत्र में भारत में व्यक्तियों और संगठनों द्वारा दिए गए अमूल्य योगदान और निस्वार्थ सेवा को पहचानने और सम्मानित करने के लिए सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार के नाम से एक वार्षिक पुरस्कार स्थापित किया है। इस पुरस्कार की घोषणा हर साल 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर की जाती है। संस्था के मामले में 51 लाख रुपये नकद और एक प्रमाण पत्र तथा किसी व्यक्ति के मामले में 5 लाख रुपये नकद और एक प्रमाण पत्र पुरस्कार के रूप में दिया जाता है।
आज के संवाद में डॉ आर सी शर्मा, असलम सलीमी, दीपक प्रहलाद, वत्सला प्रभाकर, पैनसी थॉमस, कल्पना शुक्ला,महेश शर्मा, वेद त्रिपाठी, कर्नल शिव कुंजरू, प्रियदर्शन शर्मा, आशीष प्रसाद, शुभंशी गोयल, जी एस मण्डल, ए के वर्षणय, पवन गोस्वामी, हर्ष माहेरे, आयुष कुमार, गगन, अंकुल शरण गौतम, बीना श्रीवास्तव, विक्रम शुक्ला, मोहित, वेदांश शर्मा, मनीष अग्रवाल जॉली, अशोक अग्रवाल, बी के शर्मा, डॉ मधु भारद्वाज, विजय शर्मा, रवि सूर्यवंशी आदि उपस्थित रहे।