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कोरोना के बढ़ते आंकड़ों पर शासन-प्रशासन को कांग्रेसियों ने घेरा, ‘सरकार में एकजुटता की कमी’

by admin

आगरा। कोरोना के बढते मामलों को लेकर कांग्रेसियों ने स्थानीय प्रशासन के साथ साथ प्रदेश सरकार को भी आड़े हाथ लिया है। शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र कुमार चिल्लू ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि आगरा सहित पूरे प्रदेश में उनकी आंख का तारा बने प्रिय राजदरबारी की गलत नीतियां व निर्णय के कारण इस महामारी से आम जनता पीड़ित है तो वहीं निजी व सरकारी अस्पतालों में हो रही लापरवाही व अव्यवस्थाओं का अंबार लगा हुआ है। शासन प्रशासन की ये अक्षमता अंधेर नगरी चौपट राजा – टका सेर भाजी टका सेर खाजा वाली कहावत को चरितार्थ कर रही है।

वरिष्ठ कांग्रेसी विनोद बंसल ने सवाल उठाया है कि शासन प्रशासन इस आपदा को खत्म करने के लिए सभी सामाजिक, व्यापारिक व राजनैतिक दलों का सहयोग क्यों नहीं लेना चाहता है, आए दिन सत्ता पक्ष से जुड़े जनप्रतिनिधियों व पदाधिकारियों के साथ बैठक कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर रहा है, जबकि हकीकत ये है कि इनके भी सुझावों पर अमल नहीं हो पा रहा है, जिसकी पोल महापौर नवीन जैन ने अपने पत्र में खोली थी।

वरिष्ठ कांग्रेसी भारत भूषण गप्पी ने शासन प्रशासन को सुझाव देते हुए कहा है कि पूरे प्रदेश में सामाजिक, व्यापारिक व सभी राजनैतिक दलों के लोगों के साथ वीडियो कॉफ्रेंस या बैठक करके उनके भी सार्थक सुझाव व सहयोग लेने चाहिए, इससे जमीनी स्तर पर प्रत्येक वार्ड, गली, मोहल्लों में कमेटियां बनाकर क्षेत्र की सफाई, पूरे शहर को सैनिटाइज, राशन-दूध, सब्जी, दवाई, खाद्य पदार्थ के वितरण में लाभ के साथ साथ सोशल डिस्टेन्स का भी कड़ाई से पालन कराने में सहायता मिलेगी और पूरे देश प्रदेश में एकजुटता का संदेश भी जायेगा। लेकिन ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है कि शासन प्रशासन ने इस राष्ट्रीय आपदा में सत्ता पक्ष के अलावा किसी अन्य सामाजिक, व्यापारिक व राजनैतिक दलों के साथ कोई बैठक नहीं कि जिसकी भारी कीमत आम जनता को चुकानी पड़ रही है।

कांग्रेस जनों ने शासन प्रशासन से मांग की है कि वह पूरे प्रदेश में बिना राशन कार्ड, बिना आधार कार्ड वाले लोगों को भी मुफ्त राशन वितरण, लॉक डाउन के समय में टोरंट पॉवर के बिजली के बिल, के साथ ही पानी के बिल भी माफ करने की घोषणा जनहित में करे, क्योंकि जब केंद्र सरकार रिजर्व बैंक से चुपचाप देश के भगोड़े मेहुल चौकसी, जतिन मेहता, माल्या सहित 55 अन्य उद्योगपतियों के 68000 करोड़ रुपए के कर्ज को बट्टा खाता में डाल सकती है, तो फिर आम जनता जोकि काम धंधे, रोजगार बंद होने के कारण लॉक डाउन में आर्थिक रूप से बुरी तरह से टूट चुकी है व भुखमरी के कगार पर है, उसका भी बिजली, पानी के बिल को माफ करना चाहिए।

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