आगरा। देश में सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ी जातियों को समाज के मुख्य धारा में लाने और विभिन्न पिछड़ी जातियों को संगठित कर उन्हें संविधान में दिए अधिकारों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य को लेकर आरक्षित वर्ग का एक सम्मेलन आयोजित किया गया।
आगरा विश्वविद्यालय के जुबली हॉल में आयोजित इस सम्मेलन में 10 से ज्यादा राज्यों से वंचित समाज के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सम्मेलन में आए लोगों को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि आज भी कुछ समाज राजनीति और सामाजिक व आर्थिक रूप से कमजोर है। ना ही उनकी राजनीतिक भागीदारी है ना ही समाज में उनकी बराबरी है और ना ही वह आर्थिक रूप से मजबूत हैं। इन जातियों को राजनीतिक दलों ने सिर्फ अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया है। चुनाव आते हैं, जनप्रतिनिधि और प्रत्याशी वंचित समाज के पास पहुंचते हैं, उनका वोट लेते हैं और फिर उन्हें भूल जाते हैं। अब समय है कि हमें एकजुट होना होगा और अपने बच्चों के भविष्य के लिए राजनीतिक हिस्सेदारी के साथ-साथ आर्थिक रूप से भी सशक्त होना होगा।
इस सम्मेलन में अपने विचार रखते हुए विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि अगर हमें वंचित समाज को एकजुट करना है, छोटी-छोटी जातियों के समाज को एकजुट करना है तो हमें गली-गली, मोहल्ले जाकर जन जागरूकता अभियान चलाने होंगे। नुक्कड़ नाटक के माध्यम से उन्हें संविधान में दिए अधिकार और वोट की ताकत का एहसास कराना होगा। जिससे समाज एकजुट हो सके और समाज का उद्धार कर सके।
इस सम्मेलन में मुख्य रूप से महेश काजू, उपासना, सुरेंद्र पाथरे, मुख्यरूप से उपस्थित रहे। सम्मेलन की अध्यक्षता चौधरी बल्लो प्रसाद ने की। आयोजन बीर वाल्मीकि ग्रुप समाज कल्याण समिति द्वारा किया गया।