Agra. यमुना नदी का शहरी भाग अत्यंत संकरा और जल प्रवाह को अवरुद्ध करने वाले अतिक्रमणों से भरा पड़ा हुआ है जिन्हे नियंत्रित कर सख्ती से हटवाये जाने की आवश्यकता है। यह कहना है सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के सदस्यों एवं पदाधिकारियों का। सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के जनरल सेक्रेटरी अनिल शर्मा ने बताया कि सोसायटी के द्वारा यमुना तटीय क्षेत्रों में अतिक्रमणों पर्यावरण और भूगर्भ जल संरक्षण विरोधी गतिविधि मानकर प्रशासन को पत्र लिखकर चिंता जताई है।
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा का मानना है कि नदी के निचले बाढ़ विस्तार क्षेत्र मौजूदा व्यवस्था के अनुसार अतिक्रमण पूरी तरह से गैर कानूनी हैं और इनका हटाया जाना पर्यावरण और भूजल संरक्षण के दृष्टिगत यह बहुत ही आवश्यक एवं विधि सम्मत है।
अतिक्रमण ही नहीं नदी तट को किसी भी रूप में घेरना एक जनविरोधी कृत्य है। इससे पानी का प्रवाह अवरुद्ध होता है। सामान्य मान्यता के अनुसार किसी भी नदी का ‘लो फ्लड’ लेवल उसका स्वाभाविक जल विस्तार क्षेत्र होता है और यह पर्यावरण अनुकूल भी माना जाता है।
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा ने कहा कि प्रशासन ने अतिक्रमणों को सूचीबद्ध किया हुआ है। इन पर श्वेत पत्र भी जारी किया हुआ है जिसे स्वयं प्रशासनिक एजेंसियों के द्वारा जुलाई 2023 में स्वीकार किया था। अब हमारी मांग है कि अतिक्रणों की इस सूची को अपडेट किया जाये और इसके सर्वे के लिये ड्रोन मैपिंग का उपयोग हो ।
प्रशासन को अतिक्रमण करने की मंशा रखने वालों को हतोत्साहित करने के लिए एक ऐसी कार्य योजना बनाना चाहिए जिससे कि अतिक्रमण करने की प्रवृत्ति पर अंकुश लग सके। आगरा स्मार्ट सिटी तो है ही साथ ही यहां बडी संख्या में देसी और विदेशी पर्यटक भी आते रहते हैं। अत: पर्यटकों के आवागमन को सुविधाजनक और रुकावट रहित करने के लिये मार्ग बाधाओं के रूप में अतिक्रमणों को हटवाना चाहिये।
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