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लॉकडाउन में बाल विवाह के केस में हुआ इज़ाफ़ा, बाल आयोग हुआ सख़्त, 10 दिन में मांगी रिपोर्ट

by admin

आगरा। बाल विवाह रोकने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है, शासन स्तर पर काफी प्रयास किए जा रहे हैं। आगरा में बाल विवाह रूकने का नाम नहीं ले रहे हैं। कम उम्र में बेटियों को बालिका वधु बनाया जा रहा है। जनपद में बाल विवाह की दर 21 फीसदी है। लाॅकडाउन में बाल विवाह की संख्या में इजाफा हुआ है। पुलिस ने करीब डेढ़ दर्जन बाल विवाह रूकवाए हैं लेकिन मुकदमा किसी मामले में भी नहीं हुआ। बाल विवाह पर बाल आयोग गंभीर है, आयोग ने बाल विवाह रोकने के लिए टाॅस्क फोर्स और मानव तस्करी निरोधक शाखा को सक्रीय करने के निर्देश जारी किए हैं, साथ ही इस पूरी कार्यवाही पर दस दिन में जबाव मांगा है।

चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट एवं महफूज संस्था के समन्वयक नरेश पारस ने उ0प्र0 राज्य बाल आयोग को पत्र के माध्यम से अवगत कराया कि नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे के मुताबिक आगरा में 21 फीसदी बाल विवाह होते हैं। सात माह पूर्व बाल विवाह रोकने के लिए बाल विवाह रोकथाम टाॅस्क फोर्स बनी लेकिन वह कागजों तक ही सिमट कर रह गई। पुलिस द्वारा रोके गए बाल विवाह में टाॅस्कफार्स कहीं भी नजर नहीं आई। इसमें मानव तस्करी निरोधक शाखा ने अहम भूमिका निभाई लेकिन टाॅस्कफोर्स में इसे ही शामिल नहीं किया गया है। पुलिस द्वारा अभी तक लगभग डेढ़ दर्जन बाल विवाह रोके गए हैं लेकिन किसी में भी मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है। सरकार द्वारा नामित प्रोफेसनल काउंसलरों द्वारा काउंसलिंग भी नहीं की गई जबकि इसके लिए शासन से नामित हैं। इनका फाॅलोअप भी नहीं हो पाता है।

नरेश पारस ने आशंका जाहिर की है कि बाल विवाह रोकने के बाद उनका विवाह भी कराया जा सकता है। लाॅकडाउन में बाल विवाह की संख्या में अचानक तेजी आई है। इन मामलों में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, पास्को तथा जेजे एक्ट के तहत कार्यवाही होनी चाहिए। जिला बाल संरक्षण इकाई के काउंसलरों द्वारा काउंसलिंग तथा फाॅलोअप कराया जाए। अक्सर शिकायतें मिलती हैं कि बाल विवाह रोकने के कुछ समय बाद स्थान बदलकर बाल विवाह करा दिए जाते हैं।

उ0प्र0 राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डाॅ. शुचिता चतुर्वेदी ने इस मामले में प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को पत्र जारी कर कहा है कि बाल विवाह रोकथाम टाॅस्कफोर्स तथा एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनटिन को सक्रिय किया जाए। इस पर दस दिन में आयोग को रिपोर्ट देने को कहा है। टाॅस्क फोर्स की कार्यशैली पर पूर्व में भी महिला आयोग की सदस्य निर्मला दीक्षित भी सवाल उठा चुकी हैं।

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