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25 साल से काला दिवस के रूप में मनाया जा रहा है आज का दिन, जाने क्यों

by admin

आगरा। 21 मई 1993 को खटीक पाड़े में हुई जल त्रासदी में 21 लोगों की जान चली गई थी। भले ही इस त्रासदी को 25 साल बीत गए हो लेकिन आज भी उन लोगों के जख्म हरे हैं जिन्होंने इस जल त्रासदी में अपनों को खोया था। जल त्रासदी के पीड़ित परिवार को इंसाफ दिलाने बापू स्मारक संघर्ष समिति के संयोजक तजेंद्र राजौरा पिछले 25 सालों से लगातार इस दिवस को काला दिवस के रूप में मना कर शासन और प्रशासन के कानों तक पीडितों की आवाज पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।

सोमवार को भी बापू स्मारक संघर्ष समिति के लोगों ने इस दिवस को काले दिवस के रुप में मनाया और इस जल त्रासदी के पीड़ित परिवारों को इंसाफ दिलाने के लिए काली पट्टी बांधकर धरना भी दिया। इस धरने में पीड़ित परिवार के साथ साथ क्षेत्र के लोगों और वरिष्ठ कांग्रेसियों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। इस धरने के समापन के दौरान बापू स्मारक संघर्ष समिति ने प्रशासनिक अधिकारियों को पांच सूत्रीय ज्ञापन सौंपा और पीड़ित परिवारों को इंसाफ दिलाने की मांग भी की।

बापू स्मारक संघर्ष समिति के संयोजक तजेंद्र राजोरा ने बताया कि आज से 25 वर्ष पहले जल संस्थान की कारगुजारी के चलते 25 लोग जल संस्थान का दूषित पेयजल पीकर काल के गाल में समा गए थे। उस दौरान प्रशासनिक मामलों के साथ-साथ सरकार और राजनीतिक दलों के लोगों ने भी जल त्रासदी में मारे गए पीड़ित परिवार के लोगों को आर्थिक मदद के साथ-साथ नौकरी का आश्वासन दिया था लेकिन वह आश्वासन आज तक पूरा नहीं हुआ है।

धरने में शामिल हुए वरिष्ठ कांग्रेसी भारत भूषण गप्पी और राम टंडन का कहना था कि आर्थिक मदद की राह ताकते ताकते पीड़ित परिवारों की आंखों से पानी तक सूख गया है लेकिन राजनीतिक दल और प्रशासन ने इन पीड़ित परिवारों को आर्थिक मदद करने की कोई भी कवायत नहीं की है। इस लड़ाई को तेजेंद्र राजौरा पिछले 25 सालों से लड़ रहे हैं।

फिलहाल इस धरने में शामिल हुए लोगों ने साफ कर दिया है कि जब तक जल त्रासदी के दोषियों को सजा नहीं होगी और पीड़ित परिवारों को इंसाफ मिलने के साथ-साथ आर्थिक मदद नहीं मिलेगी तब तक इस दिन को काला दिवस के रुप में मनाया जाएगा।

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