आगरा। जनपद में बच्चों से भिक्षावृत्ति कराई जा रही है। बच्चे चौराहों पर भीख मांगते नजर आते हैं। महिलाएं छोटे-छोटे बच्चों को गोद में लेकर भीख मांगती है तथा 8-12 वर्ष की आयु के बच्चों से चौराहों पर भीख मंगवाई जा रहीं है। बकायदा उनको भीख मांगने की टिप्स दी जाती है तथा स्पॉट दिए जाते हैं। मजबूरी के साथ-साथ भीख मंगवाने वाला गिरोह भी सक्रीय हो सकता है। फोटो खींचने पर बच्चे तथा महिलाएं चेहरा छुपा लेते हैं। भाग जाते हैं। कुछ शारीरिक विकलांगता का नाटक करते हैं। शहर की सड़क एवं सार्वजनिक स्थानों पर बच्चे भीख मांग रहे हैं। अधिकांश बच्चे बाहरी जनपदों के हैं।
आशंका है कि बाहर से बच्चों को आगरा लाकर भिक्षावृत्ति कराई जा रही है। बच्चे बाल श्रम में लिप्त है। बच्चों को मुक्त कराने और अपराधियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग को लेकर चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस ने डीसीपी नगर विकास कुमार से मुलाकात की।
पुलिस का महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन एएचटीयू की नोडल एजेंसी के रूप में कार्य कर रहा है। इस संगठन द्वारा प्रदेश भर समस्त कमिश्नरेट तथा जनपदों एक जून 2023 से 30 जून 2023 तक बृहद स्तर पर बाल श्रम उन्मूलन अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के तहत मार्केट एरिया, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, होटल, ढाबा, उद्योग, ईंट-भट्टा, देह व्यापार आदि को कवर किया गया है। इस दौरान अपराधियों पर बाउन्डेड लेबर एक्ट-1976 की धारा 16 17 18 19 एवं 20. चाइल्ड लेबर एक्ट 1986 की धारा 310 311. 363, 363ए (भिक्षावृत्ति) 366 368 370ए व 370 एवं अनैतिक देह व्यापार निवारण अधिनियम 1956 के तहत समुचित धाराओं में अभियोग पंजीकृत कर कार्यवाही की अपेक्षा की गई है।
नरेश पारस ने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम की धारा 76 (1) के तहत भीख मंगवाना अपराध है। यदि कोई भीख मंगवाने के लिए बच्चों को नियोजित करता है या किसी बच्चे से भीख मंगवाने पर पांच साल की कैद और एक लाख रूपया दंड का प्रावधान है। इसी अधिनियम की धारा-76(2) के खंड 14 के उपखंड-5 के तहत जो भी अभिभावक भीख मंगवाता है. उसे अयोग्य माना जाएगा। संरक्षकता हटा ली जाएगी। समुचित पुनर्वास के लिए बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
इसी प्रकार बाल श्रम (प्रतिबंध एवं नियमन) संशोधन अधिनियम 2016 के तहत कोई भी व्यक्ति काम कराने के लिए बच्चों का इस्तेमाल करता है जिससे पैसे की आमदनी होती है तो यह अपराध की श्रेणी में आता है। किसी भी काम के लिए 14 साल से कम उम्र के बच्चे को नियुक्त करने वाले व्यक्ति को दो साल तक की कैद की सजा तथा उस पर 50 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। यदि कोई व्यक्ति बच्चे को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाकर भिक्षावृत्ति कराता है तो मानव तस्करी की धारा 370 आईपीसी के तहत कार्यवाई का प्रावधान है। जिसमें नाबालिग की तस्करी करने पर पर दस वर्ष से आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।
नरेश पारस ने कहा कि इस अभियान के तहत बच्चों को भिक्षावृत्ति तथा बालश्रम से मुक्त कराकर पुनवार्सित किया जाए। काउंसलिंग कराई जाए। भीख मंगवाने वालों के विरूद्ध उक्त अधिनियमों के तहत मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्यवाही की जाए। चौराहों पर लगे स्मार्ट सिटी के सीसीटीवी कैमरों से इनकी निगरानी की जाए जिससे बच्चे दुबारा भिक्षावृत्ति में संलिप्त न हो सकें। आगरा भिक्षावृत्ति मुक्त हो सके।