हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की अभिनेत्री अनुष्का शर्मा सिनेमा को बदलाव का बड़ा तरीका मानती हैं।उनका कहना है कि फिल्में समाज में महिलाओं की छवि बदलने की ताकत रखती हैं। अनुष्का से मिली जानकारी के मुताबिक उन्होंने कहा कि उन्होंने हमेशा ऐसे किरदार चुने जो बदलते समय की महिलाओं का नजरिया दिखाते हों। फिल्मों को लेकर अनुष्का का मानना है कि ‘सुल्तान’, ‘बैंड बाजा बारात’, ‘एनएच10’, ‘फिल्लौरी’, ‘जब तक है जान’, ‘ऐ दिल है मुश्किल’ और ‘सुई धागा’ जैसी फिल्मों में निभाए गए उनके किरदारों ने ये दिखाया है कि जिंदगी के फैसले खुद करने के मामले में महिलाएं कितनी निडर, साहसी, आत्मनिर्भर, महत्वाकांक्षी और आजाद ख्याल की हो सकती हैं।
अनुष्का शर्मा का कहना है कि, “हमारी फिल्में बदलाव लाने की ताकत रखती हैं और अगर ठीक ढंग से काम किया जाए तो फिल्में लोगों को अच्छे-बुरे के बीच फर्क करने की आदत डालना सिखा सकती हैं। सिनेमा में महिलाओं के चरित्र चित्रण के बारे में स्पष्ट होकर ही हम इस बात को लेकर लोगों की मानसिकता बदल सकते हैं कि वे महिलाओं को किस निगाह से देखते हैं। साथ ही साथ हम सदियों पुरानी दकियानूसी मान्यताओं, रीति-रिवाजों और परंपराओं को भी ध्वस्त कर सकते हैं।”
जब अनुष्का शर्मा से उनकी भूमिकाओं के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, “मेरे ख्याल से ऐसी फिल्मों और भूमिकाओं के चयन को लेकर मैं पर्याप्त सचेत रही हूं। मैंने ऐसी फिल्में ही ज्यादा की हैं जिनके बारे में मुझे लगा कि ये स्क्रीन पर महिलाओं के चरित्र चित्रण को बदलने की दिशा में योगदान कर सकती हैं। पहले तो एक कलाकार होने के नाते और बाद में बतौर निर्माता ऐसा सोचने और करने में मेरा आत्मविश्वास बड़े काम आया क्योंकि एक तरह से मैं बहाव की विपरीत दिशा में तैरने की कोशिश कर रही थी और परदे पर अब तक महिलाओं के चित्रण की धारणा और तरीके को चुनौती दे रही थी।”
अभिनेत्री अनुष्का ने महिला सशक्ति करण को लेकर कहा कि, “लीक से अलग होकर कुछ करना, फिर उसके समर्थन में तन कर खड़े रहना और खुद ऐसा कर पाना मुक्ति का अहसास कराने वाला अनुभव था। फिल्मों में खुद को सजावट की चीज की तरह देखते देखते पानी सिर के ऊपर से गुजर चुका था और मैंने तय किया था कि बतौर निर्माता मैं भी किसी महिला को दकियानूसी और पीछे ढकेलने वाली सोच से दिखाए जाने की इजाजत नहीं दूंगी। मैं समाज में समानता, आत्मसम्मान और महिला सशक्तीकरण को लेकर चर्चा छेड़ने वाला सिनेमा ही बनाना चाहती हूं।”