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बसपा में शुरू हुई खींचतान, बसपा कार्यकर्ताओं ने ही सुनील चित्तौड़ का पुतला फूंका

by pawan sharma

आगरा। बहुजन समाज पार्टी में इन दिनों चल रही खींचतान सभी के सामने आने लगी है। पिछले कई दिनों से जहां छोटे पदाधिकारियों पर जिलाध्यक्ष डंडा चला रहे थे तो वहीं अब पार्टी ने जिलाध्यक्ष डॉक्टर भारतेंदु अरुण पर ही आरी चला दी। बसपा हाई कमान ने जिलाध्यक्ष को उनके पद से हटाते हुए मात्र 1 विधानसभा का कार्य दे दिया है तो वहीं वाल्मीक समाज के रविंद्र पारस वाल्मीम को पार्टी का जिलाध्यक्ष बनाया गया है। देर रात हुए इस निर्णय के बाद शनिवार को पार्टी कार्यालय पर एक आपात बैठक बुलाई गई थी। बैठक शुरू होते ही भारतेंदु अरुण को हटाए जाने और मनोज सोनी को लोकसभा प्रत्याशी बनाये जाने से नाराज भारतेंदु अरुण के समर्थकों ने हंगामा काट दिया।

जिला अध्यक्ष को हटाए जाने और मनोज सोनी को आगरा लोकसभा का प्रत्याशी बनाए जाने के पीछे कार्यकर्ता जॉन कोऑर्डिनेटर सुनील चित्तौड़ को जिम्मेदार मान रहे थे। इसलिए उन्होंने जॉन कोऑर्डिनेटर सुनील चित्तौड के खिलाफ जमकर नारेबाजी शुरू कर दी। हंगामा और विरोध प्रदर्शन के दौरान नाराज कार्यकर्ताओं ने जॉन कोऑर्डिनेटर सुनील चित्तौड़ का पुतला फूंक दिया। इससे पार्टी समर्थक और भारतेंदु अरुण के समर्थक भिड़ गए और बैठक स्थल अखाड़ा बन गया।

पुतला फूंकने से नाराज जॉन कोऑर्डिनेटर का कहना था कि उनका या किसी अन्य बड़े पदाधिकारी का पार्टी में विरोध करना और पुतला फूकना किसी बड़ी अनुशासनहीनता से कम नहीं है। यह सुनते ही पार्टी के समर्थक भड़क गए और दोनों पक्षों में विवाद की स्थिति पैदा हो गई और नौबत मारपीट तक आ गई।

विरोध का बीड़ा उठाए एत्मादपुर से बसपा कार्यकर्ता छोटे लाल का कहना था कि पार्टी का यह निर्णय पूरी तरह से गलत है और पार्टी को इसे वापस लेना चाहिए। जॉन कोऑर्डिनेटर सुनील चित्तौड़ का कहना था कि प्रत्याशी तय करना और जिलाध्यक्ष जैसे पद पर किसी को बनाये रखना और हटाना यह पार्टी हाईकमान तय करता है। लिहाजा इसमें जोन स्तर का ना ही कोई हाथ है और ना ही कोई भूमिका है। बसपा के कार्यकर्ताओं का कर्तव्य है कि वे पार्टी हाईकमान के निर्णय को माने।

सुनील चित्तौड़ का कहना था कि विरोध करने वाले छोटे लाल बसपा नहीं बल्कि भाजपा के कार्यकर्ता की तरह काम कर रहे है। बसपा के कार्यकर्ताओं का फर्ज है कि वो गठबंधन के प्रत्याशी के लिए पूरी मेहनत करें और इस सीट को जीतकर बसपा के खाते में लाएं। बैठक के दौरान कार्यकर्ता काफी संख्या में पहुंचे लेकिन पूर्व जिलाध्यक्ष भारतेंदु अरूण नहीं आए। पार्टी में शुरू हुआ यह विरोध फिलहाल थमने वाला नहीं है जोकि ना केवल पार्टी बल्कि प्रत्याशी के लिए भी घातक साबित होगा।

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