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बड़ी ख़बर : अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध मौत, सुसाइड नोट में लिखा इनका नाम

by admin
Big news: Suspicious death of Mahant Narendra Giri, President of Akhara Parishad, his name written in suicide note

प्रयागराज के अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की सोमवार को संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है। पुलिस के मुताबिक महंत का शव फांसी के फंदे से लटकता हुआ मिला है। मौके पर पुलिस जांच पड़ताल करने में लगी है। पोस्टमार्टम के बाद ही घटना का कारण स्पष्ट हो पाएगा। वहीं, महंत की मौत से संतों में हैरानी और आक्रोश का माहौल है।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी और उनके शिष्य आनंद गिरी के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था। लेकिन बाद में इनके बीच समझौता हो गया था। तब हरिद्वार से प्रयागराज पहुंचे आनंद गिरी अपने गुरु स्वामी नरेंद्र गिरी के पैरों पर गिरकर माफी मांग ली। आनंद बोले थे- मैं पंच परमेश्वर से भी अपने कृत्यों के लिए माफी मांग रहा हूं। मेरे द्वारा सोशल मीडिया, समाचार पत्रों, टीवी चैनलों पर जो भी बयान जारी किए गए उसे मैं वापस लेता हूं। इसके बाद महंत नरेंद्र गिरी ने भी आनंद गिरी पर लगाए गए आरोपों को वापस लेते उन्हें माफ कर दिया।

14 मई 2021 को पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी ने आनंद गिरी को अखाड़े और बाघंबरी गद्दी से बाहर कर दिया था। उन पर अपने परिवार से संबंध रखने का आरोप लगा था। नरेंद्र गिरी ने कहा था कि बड़े हनुमान मंदिर पर आने वाले दान-चढ़ावे में से आनंद गिरी धन अपने परिवार पर खर्च कर रहे हैं। असके बाद अखाड़े के पंच परमेश्वरों की सहमति के बाद आनंद गिरी पर यह कार्रवाई की गई थी।
आनंद गिरी ने नरेंद्र पर करोड़ों रुपए के जमीन बेचने के आरोप लगाए थे। अखाड़े से बाहर होने के बाद आनंद गिरी ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज कर दिया था और अपने गुरु नरेंद्र गिरी पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। इनमें सबसे गंभीर आरोप मठ की करोड़ों रुपए की जमीनों को बेचने और उन रुपयों का दुरुपयोग करने का था।

आनंद ने कहा था कि उनके गुरु नरेंद्र के कई बड़े और महंगे शौक हैं। इन शौक को पूरा करने के लिए नरेंद्र गिरी मठ के धन का दुरुपयोग कर रहे हैं। मठ के कई सेवादारों के परिवारों पर भी करोड़ों रुपया खर्च करने का भी आरोप लगाया था। इसके बाद गुरु और चेले के बीच विवाद गहरा गया था।

लेटे हनुमान मंदिर व श्री निरंजनी अखाड़े से निकाले जाने के बाद स्वामी आनंद गिरि ने अपने गुरु स्वामी नरेंद्र गिरि पर मठ की अरबों रुपए की जमीनों को बेचने का गंभीर आरोप लगाया था। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजे गए पत्र में अखाड़े में हो रहे घोटाले की जांच कराए जाने की मांग की थी। अब सवाल यह उठ रहा है कि गुरु और शिष्य का तो आपस में समझौता हो गया। ऐसे में आनंद गिरी ने जो अपने गुरु के ऊपर गंभीर आरोप लगाए थे, उनका क्या होगा। क्या भक्तों द्वारा दिए गए चढ़ावे के पैसे के दुरुपयोग के आरोप केवल आरोप ही बनकर रह जाएंगे।

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