आगरा। ताजनगरी में बंदरों का आतंक है। बंदरों के झुंड लगातार ताजनगरी वासियों पर हमलावर हो रहे हैं। इतना ही नहीं बीते 1 महीने के अंदर बंदर 4 हत्याएं कर चुके हैं और आधा दर्जन लोग बंदरों के शिकार होकर घायल हो चुके हैं। कुछ लोग मौत और जिंदगी से अभी भी अस्पताल में जूझ रहे हैं। बावजूद इसके आगरा का जिला प्रशासन कुंभकरण की नींद सोया हुआ है। नगर निगम आगरा से लेकर एसओएस ने ऑपरेशन अल्फा चलाने का दावा किया था। ऑपरेशन अल्फा के तहत एसओएस का कहना था कि ताजनगरी आगरा के बंदरो को पकड़ कर शहर से बाहर छोड़ा जाएगा। मगर एसओएस का दावा हवा हवाई साबित हुआ। बंदरों का आतंक इस कदर है । कि हाल ही में बंदर ने दो घटनाओं को अंजाम दिया है।

खेरागढ़ के गांव अएला की रहने वाली निर्मला देवी जो इस समय घायल है। निर्मला देवी को बंदरों के झुंड ने अचानक छत पर हमला किया और छत से नीचे गिरी महिला अस्पताल में इलाज करा रही है तो वहीं दूसरी घटना खेरिया मोड़ क्षेत्र में रहने वाले एक युवक के साथ घटी है। उसे बंदरों ने सीढ़ियों से नीचे फेंक दिया। इस व्यक्ति के पैर में फ्रैक्चर हुआ है। बंदरो के आतंक की वजह से ताजनगरी वासी दहशत के साये में जी रहे हैं।
अब जिला प्रशासन की बात कर लेते हैं। जिला प्रशासन की ओर से एडीएम सिटी के पी सिंह का दावा है कि बंदरों को पकड़ने के लिए भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। नगर निगम की बात हो, एसओएस की टीम की बात हो या फिर जिला प्रशासन की बात हो, 2 दावे भरपूर किए जा रहे हैं मगर खूंखार बंदर कब पकड़े जाएंगे ताजनगरी वासियों को बंदरों से कब निजात मिलेगी इसकी कोई गारंटी नहीं है।
बीते दिनों रुनकता में 7 माह के मासूम बच्चे को बंदरो ने उसकी मां की गोद से छीन कर पटक पटक कर मार डाला था। इसके बाद 1 महीने के अंदर यहां ताजनगरी में देशी और विदेशी सैलानियों को भी 16 बार बंदरों ने निशाना बनाया। मगर आज तक ना तो बंदरों को शहर से भगाने की कोई योजना तैयार हुई और ना ही इन्हें पकड़ने के कोई प्रयास हुए।