Agra. आयशा की आत्महत्या ने आगरा के मुस्लिम समाज को पूरी तरह से झकझोर के रख दिया है। आयशा भले ही इस दुनिया में नहीं रही हो लेकिन उसकी मौत समाज को एक ऐसा सबक दे गई जिसने सोचने के लिए मजबूर कर दिया। मुस्लिम समाज के लोगों ने निकाह में किसी तरह का दहेज न लेने और न ही देने का फैसला किया, साथ ही इसके प्रति समाज को जागरूक करने के लिए मुस्लिम इलाकों में परचे बटवाने की बात कही।
आगरा के मंटोला स्थित कैंथ वाली मस्जिद में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद अहमदाबाद में दहेज उत्पीड़न से तंग आकर खुदकुशी करने वाली महिला आयशा की मगफिरत (आत्मा की शांति) के लिए दुआ मांगी गई। इसके बाद ऑल इंडिया जमीतुल कुरैश की एक अहम बैठक हुई जिसमें शामिल समाज के लोगों ने दहेज के खिलाफ आवाज बुलंद की। एक तरफ समाज में अशिक्षा का प्रकोप था और अब दहेज की फैलती बीमारी ने सभी को झकझोर दिया है। बैठक में फैसला किया गया कि मुस्लिम समाज के लोग निकाह में किसी तरह का दहेज न लेंगे और न ही देंगे जिससे समाज की बेटियां दहेज उत्पीड़न का शिकार न बने। इसके लिए समाज को भी जागरूक किया जाएगा।
गौरतलब है कि 25 फरवरी को गुजरात के अहमदाबाद जिले में आयशा बानू मकरानी ने साबरमती नदी में कूदकर अपनी जान दे दी थी। आयशा ने नदी में कूदने से पहले एक वीडियो संदेश रिकॉर्ड किया था। वीडियो में आयशा ने पति पर दहेज के लिए शोषण करने का आरोप लगाया। आयशा का 2018 में आरिफ खान से निकाह हुआ था।
वीडियो में आयशा कह रही है, ‘अगर वह मुझसे आजादी पाना चाहता है तो उसे आजादी मिलनी चाहिए। मेरी जिंदगी बस यहीं तक है। मैं खुश हूं कि मैं अल्लाह से मिलूंगी। मैं अल्लाह से दुआ करूंगी कि मुझे फिर कभी इंसानों की शक्ल नहीं देखनी पड़े’।
मस्जिद के इमाम ने दुआ के बाद कहा कि इस्लाम में दहेज लेने की मनाही है लेकिन फिर भी लोग दहेज की मांग करते है जो गलत है। आयशा खान की मृत्यु से समाज के लोगों को सबक लेना चाहिए जिसने दहेज के उत्पीड़न से अजीज आकर अपनी जान दे दी।
जमीतुल कुरैश के जिलाध्यक्ष मोहम्मद शरीफ काले ने कहा कि आयशा की खुदकुशी के बाद समाज में जागरूकता लानी होगी। समाज में होने वाले निकाह में दहेज रहित हो, अगर कोई दहेज मांगता है तो उसके खिलाफ आवाज उठाये।
अदनान कुरैशी ने कहा कि नौजवानों को समाज में फैली इस कुप्रथा को खत्म करने के लिए आगे आना होगा। भारतीय मुस्लिम विकास परिषद के अध्यक्ष समी आगाई ने बताया कि मुस्लिम समाज में दहेज लेने और देने पर रोक लगाने के लिए परचे बंटवाए जा रहे हैं।
आयशा की मौत के बाद देशभर में दहेज के विरोध में आवाज उठ रही हैं। तो वहीं मुस्लिम समाज भी इसके लिए आगे आ रहा है।
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