आगरा. एकलव्य स्टेडियम के कोई खिलाड़ी स्टेरायड का प्रयोग तो नहीं कर रहे कहीं। यहां के बाथरूम में रोजाना खाली सिरिंज मिलती हैं। ये आखिर कहां से आती हैं। यह सिलसिला विगत कई वर्षों से चल रहा है। इसको रोकने के उपाय भी स्टेडियम प्रशासन द्वारा नहीं किये गये हैं। अगर खिलाड़ी वास्तव में नशे के इंजेक्शन का इस्तेमाल ताकत बढ़ाने के लिये कर रहे हैं तो यह डोप का मामला बनता है जोकि खिलाड़ी के भविष्य के साथ ही खिलवाड़ है। इन इंजेक्शनों से कुछ समय के लिये ताकत तो मिल जाती है लेकिन भविष्य में शरीर खराब हो जाता है।
नाडा द्वारा इस तरह के खिलाड़ियों को रोकने के लिये समय-समय पर कैंप आदि लगाये जाते हैं। खिलाड़ियों को समझाया जाता है कि ये उनकी सेहत के लिये अच्छा नहीं है। इसके अलावा वे अगर इंटरनेशनल लेबल के खिलाड़ी बन जाते हैं तो वहां पकड़े ही जाएंगे। इसके बाद शहर, जिला और प्रदेश के अलावा देश की भी छवि धूमिल होती है। यही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डोपिंग में पकड़े गये खिलाड़ियों के पदक तक वापस ले लिये गये हैं। इसलिये खिलाड़ियों को इस तरह की आदतों से बचना चाहिये।
हालांकि स्टेडियम प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेता ही नहीं है। फिर भी लगातार खाली सिरिंज का स्टेडियम के बाथरूम में मिलना चिंताजनक तो है ही। एक बार इस मामले की जांच तो होनी ही चाहिए। जिससे इन पर रोक लगायी जा सके। यहां से सफाई कर्मी कहते हैं कि हम तो लगभग रोजाना खाली सिरिंज और दवा के खाली रैपर डस्टबिन में डालते हैं।