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असामाजिक तत्व कर रहे हैं आश्रम पर कब्जा, समिति के पदाधिकारियों ने जताया रोष

by admin
Anti-social elements are occupying the ashram, the officials of the committee expressed their anger

आगरा। 34 वर्ष पूर्व आश्रम के लिए लिखित रूप में दान की गई जमीन पर अब कुछ असामाजिक तत्व के लोगों की नजरें गढ़ गई हैं। असामाजिक तत्वों के लोग तरह-तरह से आश्रम की दुकानों पर कब्जा करने का प्रयास कर रहे हैं। इसको लेकर समिति के सदस्य लामबंद हो गए हैं। उन्होंने कानून की मदद लेने के बारे में बताया है।

वाटर वर्क्स स्थित एक रेस्टोरेंट में श्री श्री 1008 केवलानंद गरीबानंद सेवा समिति के कोषाध्यक्ष निन्नू प्रसाद ने बताया कि आश्रम को लश्करपुर के किसान मंगलदास पुत्र महाराम ने खसरा संख्या 198 से 10 विस्से भूमि अपने गुरु केवलानंद महाराज को वर्ष 1956 में मौखिक रूप से दान दी थी। आश्रम में गुरु केवलानंद महाराज की मृत्यु के बाद उनकी समाधि भी बनाई गई।

गुरु केवलानंद महाराज के आश्रम और समाधि की देखरेख उनके शिष्य गरीबानंद ने अपने वृद्ध होने के चलते वर्ष 1991में आश्रम की जिम्मेदारी सात सदस्यों को लिखित रूप में दी। उन सदस्यों के द्वारा इस आश्रम का संचालन होने लगा। कुछ वर्षों के बाद इन सात सदस्यों ने पूरे आश्रम और समाधि स्थल के अलावा परिसर में बनी 12 दुकानों की जिम्मेदारी संस्था के दो लोगों को सौंपते हुए अपने को जिम्मेदारी से मुक्त कर लिया। संस्था के सभी सदस्यों ने 17 जून 2009 को आश्रम की एक समिति को पंजीकृत कराया, जिसमें संस्था के सभी सदस्यों को नामित भी किया गया।

संस्था के सचिव ब्रह्म स्वरूप ने बताया कि इस संस्था के सदस्य पूरन चंद निवासी लश्करपुर का वर्ष 2015 में निधन हो जाने के बाद उनके पुत्र परमानंद उर्फ बंटी और रविंदर उर्फ रिंकू हाल निवासी लश्करपुर 2019 में आश्रम में आकर अपना अधिकार और कब्जा करने लगे, इसको देख आश्रम के सदस्यों ने विरोध किया तो दोनों भाइयों ने आश्रम के लोगों को बुरा भला कहा। इस पर आश्रम समिति के सभी सदस्यों ने न्यायालय की शरण ली है, जिसका अभी तक विवाद चल रहा है।

संस्था के उपाध्यक्ष मनोप्रकाश ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से दोनों भाई मिलकर आश्रम की दुकानों पर कब्जा करने की नियत से दुकानदारों पर रंगदारी दिखाते हुए उनसे किराए और अवैध रूप से रंगदारी मांगते हैं। इतना ही नहीं दो दिन पूर्व दोनों भाईयों ने अपने सहयोगियों की मदद लेकर एक दुकान पर अपना ताला भी डाल दिया है। इसको लेकर संस्था के माध्यम से कानून की मदद ली जा रही है।

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