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जहरीली शराब कांड में सच सामने आने से ग्रामीणों में आक्रोश, कहा- ‘पुलिस चोरों की तरह आई और कर दिया अंतिम संस्कार’

by admin
Anger among villagers due to truth coming out in poisonous liquor scandal, said- 'Police came like thieves and performed last rites'

Agra. फॉरेंसिक रिपोर्ट में जहरीली शराब से मौतों की पुष्टि होने के बाद मृतकों के गांव में आक्रोश व्याप्त है। इस रिपोर्ट के बाद कौलारा कला गाँव में तो लोगों में काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है। ग्रामीण चौतरफा पुलिस व प्रशासन को घेरने में लगे हुए है। सबसे ज्यादा आक्रोश तो महिलाओं में देखने को मिल रहा है। ग्राउंड रिपोर्टिंग के जरिये पता लग रहा है कि पुलिस की लापरवाही और बार बार कहने पर लोगों की मौत जहरीली शराब से हुई है, उसे अनसुना कर शराब ठेका संचालको को क्लीन चिट दिए जाने पर लोगों में काफी आक्रोश पनप गया है।

कौलारा कला गाँव में इस समय मातम छाया हुआ है। लोगों के घरों के चूल्हे नहीं जा रहे हैं तो हर घर इस गम में शामिल है। गमगीन माहौल में लोग शांत जरूर बैठे हैं लेकिन खाकी के प्रति उनके अंदर आक्रोश धीरे-धीरे पनप रहा है। खाकी रस्सी को भी सांप बना देती है इसी के डर से ग्रामीण आक्रोश तो जता रहे हैं लेकिन खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं। इस मातम के बीच गांव की महिलाओं से बात की तो उनका गुस्सा और दर्द छलक गया।

जहरीली शराब से अपने पति को खोने वाली महिला का कहना था कि जहरीली शराब ने तो उनके पति को छीना, लेकिन पुलिस ने तो उससे ज्यादा उनके साथ बुरा किया। इसके लिए उनके मुख से सिर्फ खाकी के लिए अपशब्द ही निकल रहे हैं। पीड़िता का कहना है कि जहरीली शराब से पति की बीमारी से तबियत बिगड़ी, इलाज के दौरान पति की मौत हुई और आधी रात के बाद पुलिस डेडबॉडी लाई और जबरदस्ती उनका अंतिम संस्कार करा दिया। पति की शक्ल तक नहीं देखने दी। जैसे अज्ञात व्यक्ति का अंतिम संस्कार होता है वैसे ही कर दिया गया। पुलिस वाले खुद ही अंतिम संस्कार का सामान लाये और दो बजे करीब अंतिम संस्कार कर दिया। पीड़िता चिल्ला चिल्ला कर अपने लिए इंसाफ और उन पुलिस वालो पर कार्यवाही की मांग कर रही है जिन्होंने अपनी गर्दन बचाने के लिए उनके पति का अंतिम संस्कार चोरों की तरह कर दिया।

Anger among villagers due to truth coming out in poisonous liquor scandal, said- 'Police came like thieves and performed last rites'

गांव के एक और घर में पहुँचे तो छोटे छोटे बच्चे बिलख रहे थे। उन मासूमों को पता ही नहीं कि अब उनके पिता इस दुनिया मे नहीं रहे हैं। चारों ओर चीखपुकार मची हुई थी। इस बीच एक महिला से बात करना चाहा तो उसने गुस्से में कहा कि अवैध रुप इसे शराब बेचे जाने की पुलिस को पूरी जानकारी है लेकिन क्या करे उन्हें लोगों की जान से ज्यादा सुविधा शुल्क की चिंता है। इसलिए एक साधारण व्यक्ति घटना घटने के बाद भी पुलिस के पास जाने से कतराता है। इस गांव के चार परिवार के साथ अन्य 6 और परिवारों से मुखिया चला गया। उनके परिवार का भरण पोषण कैसे होगा। सरकार और स्थानीय प्रशासन जवाब दे जो अपनी गर्दन बचाने के लिए सिर्फ निलंबन की कार्यवाही कर देता है और अपना दामन पाक साफ बचा लेता है।

Anger among villagers due to truth coming out in poisonous liquor scandal, said- 'Police came like thieves and performed last rites'

गांव की ही स्वयं सहायता समूह चलाने वाली राजकुमारी से भेंट हुई तो उसकी भी पीड़ा सामने आई उसने भी इस घटना के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहराया। उसने बताया कि दो साल पहले उसने अवैध शराब के खिलाफ गांव की महिलाओं के साथ आवाज उठाई। डौकी थाने में शिकायत दर्ज कराई लेकिन क्या हुआ पुलिस ने दो दिन चक्कर लगाए। हम लोगों को समझाया और चल पड़े। जबकि उन्हें उस समय भी इस तरह के बड़े हादसे के प्रति चेताया गया। राजकुमारी कहती है कि मृतकों के परिजनों को मुआवजा मिले और इसका भुगतान पुलिस करे क्योंकि वो खाकी पहनने के बाद समाज के प्रति अपने दायित्व को भूल गयी है। उन्होंने कहा कि पुलिस लगातार मामले को दबाने में लगी रही और इनकार करती रही कि जहरीली शराब के सेवन से कोई मौत नहीं हुई है लेकिन इस रिपोर्ट ने उन्हें ही कठघरे में खड़ा कर दिया है।

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फिलहाल कुछ भी हो लेकिन इस पूरे मामले को लेकर पुलिस प्रशासन के सुर जरूर बदले हैं। लोगों का आक्रोश थम नहीं रहा है, उनका कहना था कि जब साफ तौर से हर व्यक्ति कह रहा था कि जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत हुई है तो पुलिस ने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया ना ही उन दुकानों को सील किया गया जिनसे उन लोगों ने शराब खरीदी थी बल्कि पुलिस उन्हीं का बचाव करते हुए कहती रही कि लोगों की मौत अधिक सेवन और बीमारी से हुई है।

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