Agra. ब्रिटेन की नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री लिज ट्रस के मंत्रिमंडल में भारतीय मूल के आलोक शर्मा को भी शामिल किया गया है। ब्रिटेन की नई सरकार में आलोक शर्मा के शामिल होने से उनके परिजनों में अलग ही खुशी की लहर दिखाई दे रही है। इससे पहले वह बोरिस जॉनसन की सरकार में भी मंत्री थे।
आलोक शर्मा का जन्म आगरा के कोठी मीना बाजार के समीप सात सितंबर 1969 को हुआ था। उनके पिता डा. प्रेमदत्त शर्मा वैटनरी सर्जन थे। आज भी उनके परिवार के लोग कोठी मीना बाजार के पास ही रहते हैं। उनके एक चचेरे भाई विश्वनाथ शर्मा रेलवे में प्रबंधक भी है। ब्रिटेन की नई सरकार में आलोक शर्मा के शामिल होने पर उनके चचेरे भाई विश्वनाथ शर्मा ने अपने कुछ अनुभव भी साझा किये।
उन्होंने बताया कि आलोक शर्मा पांच साल तक आगरा में ही रहे। बचपन में चचेरे भाई-बहनों के साथ नार्मल कंपाउंड स्थित सरकारी विद्यालय में पढ़ने जाते थे। 1972 में पिता डा. प्रेमदत्त शर्मा इंग्लैंड चले गए, बाद में वे ब्रिटेन यानी यूके में ही रह गए। आलोक का लालन-पालन रीडिंग के उपनगरों अर्ली और व्हाइटली वुड में हुआ। उनकी शुरुआती पढ़ाई रीडिंग ब्लू कोट स्कूल में हुई। उन्होंने 1988 में सालफोर्ड यूनिवर्सिटी से अप्लाइड फिजिक्स में बीएससी की है।
इसके बाद उन्होंने चार्टर्ड एकाउंटेंट की ट्रेनिंग ली। मानचेस्टर में ट्रेनिंग लेने के बाद लंदन के कई फायनेंसियल फर्मों में वो ऊंचे पदों पर रहे। आलोक शर्मा बो ग्रुप के इकोनॉमिक अफेयर्स कमिटी के थिंकटैंक के चेयरमैन भी रहे हैं। वह आज भी पिता प्रेमदत्त शर्मा और मां शीला शर्मा की खुद नियमित देखभाल करते हैं और समय बिताना नहीं भूलते। यह शिक्षा और संस्कार उन्होंने अपनी दोनों बेटियों को भी दी है।
मीडिया से वार्ता करने के दौरान आलोक शर्मा की भाभी ऋतिका शर्मा बताती हैं कि आलोक को बेसन के लड्डू सबसे ज्यादा पसंद है। भारत से कोई भी वहां जाए या वह यहां आएं, तो उनके लिए घर के बने बेसन के लड्डू ले जाना नहीं भूलता। हालांकि लंबे समय से यूके कैबिनेट का हिस्सा होने के कारण उनका प्रोटोकाल सख्त है। इसलिए 2015 के बाद वह आगरा नहीं आ पाए। वर्ष 2020 में दिल्ली आने पर ही परिजनों ने उनसे वहीं मुलाकात की थी।
इस सरकार से पहले आलोक शर्मा बोरिस जॉनसन की सरकार में भी मंत्री रहे। उनको ब्रेग्जिट के मुद्दे पर जॉनसन का साथ देने का इनाम मिला और उन्हें बोरिस जॉनसन ने अपने मंत्रिमंडल में जगह दी। बोरिस जॉनसन का जिसने भी विरोध किया, उनको किनारे लगा दिया गया। बहुत कम लोग ऐसे हैं, जो टेरेसा के मंत्रिमंडल में शामिल रहे हों और उन्हें फिर से मंत्री बनाया गया हो।