आगरा। बचपन से ही दाएं हाथ का पंजा ना होने के बावजूद आगरा की सोनिया शर्मा यह नहीं जानती थी कि वह कभी शूटर बनेगी लेकिन 2008 के लंदन ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा अनजाने में ही उसके प्रेरणा स्रोत बन गए और देखते ही देखते 10 सालों में सोनिया दुनिया में पांचवें नंबर की दिव्यांग पिस्टल शूटर बन गई। अप्रैल 2018 में दक्षिण कोरिया में अभी हाल में हुए विश्वकप में सोनिया ने शानदार प्रदर्शन किया था। हालांकि उन्हें कोई पदक हासिल तो नहीं हुआ लेकिन विश्व रैंकिंग में लंबी छलांग लगाकर वह दुनिया की पांचवें नंबर की इंटरनेशनल शूटर बन गई।
बचपन से ही पिता का साया उठ जाने के बाद मां ने सोनिया को पाला-पोसा। सेंट एंड्रयूज स्कूल में पढ़ने के दौरान सोनिया का वास्ता शूटिंग से पड़ा। दिव्यांग होने के बाद भी सोनिया ने शूटिंग को अपनाया। 2008 में अभिनव बिंद्रा से प्रेरित होकर सोनिया ने स्कूल में ही शूटिंग अभ्यास शुरू किया। 2015 में स्टेडियम की शूटिंग कोच विक्रांत तोमर को सोनिया के बारे में पता चला तो वह उसे स्टेडियम ले आए। घरवालों ने किसी तरह सोनिया के लिए पिस्टल खरीदी। शुरुआत में सोनिया ने जिला स्तर पर पदक जीतने से की और आगे चलकर नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप की 10 मीटर एयर पिस्टल की दिव्यांग श्रेणी में स्वर्ण पदक जीत लिया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और दुनिया की पांचवें नंबर की शूटर बन गई।
सोनिया ने 2015 से लेकर 2017 तक लगातार तीन नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में पदक जीतकर अपने शूटिंग करियर की शुरुआत की थी। इससे पहले यूपी स्टेट और नॉर्थ जोन में पदक जीतने के बाद उनके अंदर नेशनल चैंपियनशिप में पदक जीतने का हौसला आया। फिलहाल दक्षिण कोरिया से लौटने के बाद सोनिया दिल्ली में चल रहे इंडिया कैंप में आगामी एशियन शूटिंग चैंपियनशिप व विश्वकप के लिए कड़ा व्यास कर रही है। कोच विक्रांत अमर ने बताया कि सोनिया पिछले 1 साल से लगातार इंडिया कैंप में मौजूद है।