Agra. कनाडा में आयोजित वर्ल्ड पुलिस फायर गेम्स 2023 में आगरा के बॉक्सर अभय ने स्वर्ण पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया है। उनकी इस उपलब्धि से हर देशवासी गदगद दिखाई दे रहा है तो वहीं बॉक्सरों में अलग ही उत्साह नजर आ रहा है। अभय की उपलब्धि पर उनके कोच भी अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। भारत देश का नाम अब अन्य खेलों के साथ-साथ बॉक्सिंग में भी उभरकर सामने आया है।
आपको बताते चलें 28 जुलाई से 6 अगस्त तक कनाडा के विनिपेग शहर मे आयोजित में वर्ल्ड पुलिस फायर गेम्स 2023 का आयोजन हुआ। इस प्रतियोगिता में आगरा के बॉक्सर अभय ने भारतीय पुलिस बॉक्सिंग टीम की तरफ से प्रतिभाग किया। अभय ने शुरू से ही अपने प्रतिनिधियों को जीतने का किसी भी तरह का मौका नहीं दिया। अपने प्रतिनिधियों को हराकर फाइनल में जगह बनाई और फाइनल में कनाडा पुलिस के Neel carswell को हराकर प्रतियोगिता अपने नाम की। अभय ने दूसरे राउंड में अपने प्रतिद्वंद्वी पर (RSC) रेफरी स्टॉप कांटेस्ट के आधार पर जीत दर्ज की
सिपाही के पद पर नौकरी जॉइन की
आपको बताते चलें कि अभय बेहतरीन मुक्केबाज हैं। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर भी कई प्रतियोगिताओं को अपने नाम किया है। इसी के चलते 2018 में एसएसबी में सिपाही के पद पर उन्हें नौकरी हासिल हुई। इसके बाद उन्होंने पुलिस की ओर से खेलना शुरू किया। ऑल इंडिया पुलिस में 2 बार कांस्य पदक, एक बार रजत पदक हासिल किया।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम हुआ रोशन
अभय ने वर्ष 2022 में पुणे में आयोजित ऑल इंडिया पुलिस बॉक्सिंग प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक अर्जित करके भारतीय पुलिस बॉक्सिंग टीम में अपना स्थान पक्का किया था। इस प्रतियोगिता को जीतने के बाद ही अभय के लिए भारत की ओर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने के दरवाजे खुल गए थे।
जानकारी के मुताबिक अभय को शुरू से ही बॉक्सिंग का शौक था। इसी के चलते उन्होंने अपना कैरियर भी बॉक्सिंग में बनाया। अभय के बाबा अजमेर सिंह चौहान पुलिस विभाग में दरोगा के पद से सेवा निवृत्त हुए तो पिता ब्रजेंद्र सिंह चौहान पुलिस में एसआई के पद पर मथुरा में कार्यरत हैं। अभय के बड़े भाई विनय प्रताप पुलिस में हेड कांस्टेबल के पद पर कार्यरत हैं और राष्ट्रीय स्तर के मुक्केबाज हैं। अभय अपने भाइयों में तीसरे नंबर के हैं और अविवाहित हैं
अभय को इस ऊंचाइयों तक पहुंचाने में उनके कोच राहुल सिंह जादौन का बड़ा हाथ है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस उपलब्धि के मिलने से वह भी अपने आप को काफी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब कोई शिष्य अपने गुरु की शिक्षा से सही मुकाम हासिल कर लेता है तो वह उसके लिए सबसे बड़ी उपलब्धि होती है। आज अभय की इस उपलब्धि से वह अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते हैं।
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