Agra. चूहों को भगवान गणेश की सवारी कहा जाता है। लेकिन चूहों की करामात के चलते आगरा रेलवे विभाग को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। यहाँ तक कि ट्रेन की सुरक्षा को भी खतरा होने लगा है। ऐसे चूहों से निजात पाने के लिए रेलवे की ओर से एक निजी कंपनी को ठेका दिया गया है। यह ठेका सफाई के साथ दिया गया है जिसकी कीमत लगभग 26 करोड़ रुपये है।
लोहे की पटरी कुतर रहे चूहे
आगरा कैंट स्टेशन के रेलवे ट्रैक पर आपको अक्सर मोटे मोटे चूहे घूमते हुए मिल जाएंगे। इन चूहों से रेलवे के अधिकारी भी परेशान है। रेलवे ट्रैक पर घूमने वाले यह चूहे न तो सिग्नल की केबिल छोड़ रहे और न ही पार्सल में बुक कराये गए सामान को। यह चूहे इतने खतरनाक है कि यह रेल ट्रैक को भी पोला कर देते हैं। लोहे के रेलवे ट्रैक को भी अपने दांतों से कुतर जाते है। चूहों ने रेलवे ट्रैक पर बिल बना लिए हैं जिनमें पानी भरने पर ट्रेनों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है।
निजात पाने के लिए उठाया टेंडर
इन चूहों से निजात पाने के लिए आगरा रेल मंडल की ओर से ठेका उठाया गया है। इसका ठेका भी सफाई व्यवस्था के साथ है जो किंग सिक्योरिटी को 26 करोड़ रुपये में मिला है। चूहों से रेलवे को हर साल करोड़ों रुपये का नुकसान होता है। इन चूहों से भी यही कंपनी निजात दिलाएगी।
जनसंपर्क अधिकारी प्रशस्ति श्रीवास्तव ने बताया कि आगरा रेल मंडल की ओर से सफाई का ठेका उठाया गया है। इसी ठेके में चूहों से निजात का कार्य भी शामिल है। चूहों से ट्रैक, सिग्नल की केबिल, पार्सल सहित अन्य को नुकसान पहुंचता है।
पटरी को पहुंचा रहे नुक़सान
जनसंपर्क अधिकारी प्रशस्ति श्रीवास्तव का कहना है कि आगरा कैंट, आगरा फोर्ट और मथुरा जंक्शन में खतरनाक चूहे हैं। कई बार यह चूहे पटरी तक को नुकसान पहुंचाते हैं।
आगरा रेल मंडल में तीन स्टेशन पार्सल के हब हैं। आगरा कैंट रेलवे स्टेशन में हर दिन 2500 से तीन हजार पार्सल की बुकिंग होती है। मथुरा जंक्शन में हर दिन 2200 से 2500 और आगरा फोर्ट में हर दिन 2100 से 2400 पार्सल की बुकिंग होती है। इतनी ही तादाद में पार्सल इन स्टेशनों पर पहुंचते हैं। पार्सल के आसपास चूहे बड़ी संख्या में पाए जाते हैं।
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