Agra. आज भारतीय वायुसेना दिवस है। इस दिवस पर आगरा एयरफोर्स बेस स्टेशन की बात न हो ऐसा हो ही नहीं सकता है। दूसरे विश्व युद्व से लेकर पाकिस्तान के बालाकोट में हुए एयर स्ट्राइक तक आगरा एयरफोर्स बेस स्टेशन हर ऑपरेशन की नींव रहा है। आजादी के दिन आगरा एयरफोर्स स्टेशन ने स्थापना के तुरंत बाद ही 1947 से 49 के बीच कश्मीर घाटी में भारतीय सेना की टुकड़ियां यही से पहुंचाई, गई वहीं लेह के दुर्गम इलाके में पहली बार विमान की लैंडिंग कराई। स्क्वाड्रन 12 इस एयरबेस से जुड़ा रहा है। 1965, 1971, करगिल युद्व के अलावा बालाकोट एयर स्ट्राइक समेत बड़े ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पाकिस्तान और चीन पर निगरानी रखने वाले अवाक्स सिस्टम भी यहीं से संचालित हैं। इतना ही नही देश का इकलौता पैराट्रूपर्स ट्रेनिंग काॅलेज भी आगरा में है, जहां पैरा कमांडो ट्रेनिंग के लिए आते हैं।
1947 में एयरफोर्स स्टेशन हुआ स्थापित
देश की आजादी के दिन यानी 15 अगस्त 1947 को विंग कमांडर शिवदेव सिंह की कमान में आगरा एयरफोर्स स्टेशन शुरू किया गया। पहले यह पश्चिमी कमान में था लेकिन 1971 में यह सेंट्रल एयर कमांड का हिस्सा बन गया। यहां डकोटा, कैनबरा, एएन-12, एचएस 748, सी-119, सी-47 जैसे विमानों ने अपनी सेवाएं दी हैं।
इन विमानों का है बेस
आगरा का एयरफोर्स बेस स्टेशन वायुयान एएन-32, आईएल-78, हरक्यूलिस, एवरो, अवॉक्स, सी-295 का बेस है। आईएल 78 एक मिनट में 500 से 600 लीटर के हिसाब से ईंधन दे सकता है। एएन-32 वायुयान का इस्तेमाल युद्ध या फिर रेस्क्यू के दौरान किया जाता है यह वायुयान मैन पॉवर या फिर सामग्री पहुँचाने का काम करता है। सेना के लिए हथियार और गोला बारूद इसी प्लेन से जाते है।
देश का यह इकलौता पैराट्रूपर है जहां तीनों सेवा के जवानों को पैरा ट्रेनिंग दी जाती है। लगभग साल भर तीनों सेवा के लगभग 50000 जवान यहां पर पैरा ट्रेनिंग लेते हैं। देश के जाने-माने क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी ने भी पैरा ट्रूपर बनने की ट्रेनिंग यहीं से ली थी। यहां पर लगभग 1250 फीट की ऊंचाई से जवानों को छलांग लगवाई जाती है।
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