Home » शौचालय में मगरमच्छ दिखने से मची अफरा-तफरी, रेस्क्यू कर वापस नदी में छोड़ा गया

शौचालय में मगरमच्छ दिखने से मची अफरा-तफरी, रेस्क्यू कर वापस नदी में छोड़ा गया

by admin

फिरोजाबाद के मुहब्बतपुर गांव स्थित एक घर के शौचालय में 5 फुट लंबा मगरमच्छ दिखने से परिवारजन भयभीत हो उठे। वाइल्डलाइफ एसओएस और उत्तर प्रदेश वन विभाग द्वारा मगरमच्छ को रेस्क्यू कर वापस यमुना नदी में छोड़ दिया गया।

फिरोजाबाद के मुहब्बतपुर गाँव में रहने वाला परिवार अपने घर में एक मगरमच्छ दिखने से स्तब्ध रह गया। मगरमच्छ उनके घर से थोड़ी ही दूरी पर स्थित एक तालाब में पिछले कुछ समय से रह रहा था और अक्सर ग्रामीणों द्वारा देखा जाता था, लेकिन सुबह के उजाले में वह पानी से बाहर निकलकर घर के शौचालय में घुस गया।

डरे-सहमे परिवारजनों ने तुरंत शौचालय का दरवाज़ा बंद कर दिया जिससे मगरमच्छ को वहीँ पर रोका जा सके और अपने क्षेत्र के वन विभाग अधिकारियों से संपर्क साधा, जहां से फिर घटना की सूचना वाइल्डलाइफ एसओएस को उनके आपातकालीन हेल्पलाइन (+ 91-9917109666) पर दी गई।

वन्यजीव संरक्षण संस्था से चार सदस्यीय टीम तुरंत पिंजरे सहित अन्य आवश्यक उपकरणों के साथ स्थान के लिए रवाना हो गई। यह सुनिश्चित करने के बाद कि वहाँ मौजूद ग्रामीण मगरमच्छ से सुरक्षित दूरी पर हैं, टीम ने बचाव अभियान प्रारंभ किया और मगरमच्छ को बाहर निकाल कर उसे सफलतापूर्वक पिंजरे के अन्दर पहुंचाया। मगरमच्छ को बाद में बटेश्वर के नारंगी घाट स्थित यमुना नदी में छोड़ दिया गया।

वाइल्डलाइफ एसओएस के सीईओ और सह-संस्थापक कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “घर के निवासियों ने शौचालय के अंदर मगरमच्छ को रोककर तेज एवं कुशल सोच का उदहारण दिया l इससे यह सुनिश्चित हुआ कि जानवर एवं इंसान दोनों की जान को कोई नुकसान नहीं होगा। हम वन विभाग की समय पर प्रतिक्रिया के लिए बहुत आभारी हैं क्योंकि इससे हमें सही समय पर बचाव अभियान चलाने में मदद मिली, जिससे मगरमच्छ और निवासियों को भी कम से कम तनाव हुआ।”

मगर क्रोकोडाइल जिसे मार्श क्रोकोडाइल भी कहा जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप, श्रीलंका, बर्मा, पाकिस्तान और ईरान के कुछ हिस्सों में पाए जाते हैं। यह आमतौर पर ताज़ा पानी वाली जगह जैसे नदियों, झीलों, पहाड़ी नदियों, गाँव के तालाबों और मानव निर्मित जलाशयों को अपना आवास बनाते है। एक समय पर, यह मगरमच्छ पूरे उपमहाद्वीप में बड़े पैमाने पर हुआ करते थे, लेकिन समय के साथ उनके प्राकर्तिक निवास के विनाश, शिकार, भोजन में कमी, मानव अतिक्रमण और बढ़ती संघर्ष स्थितियों के कारण घट गई है।

Related Articles