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‘‘चौरंगा इंद्रधनुष’’ में मिलेगा मैत्री भाव का अलौकिक संदेश

by pawan sharma

आगरा। मित्र वही जो क्षण महके के इत्र सामान, मित्र वही जिसमें हो अपनापन का ज्ञान। मित्रता पर इस तरह का काव्य पाठ डॉ अनुज की पुस्तक चौरंगा इंद्रधनुष के विमोचन एवं साहित्य समागम समारोह में सुनने को मिला। कार्यक्रम का संचालन करते हुए शशि गुप्ता ने एक-एक करके आगरा के साहित्य जगत से जुड़े हुए उन हस्ताक्षरों को मंच पर आमंत्रित किया जो अपनी काव्य रचना और काव्य पाठ से भारतीय संस्कृति सभ्यता और संस्कार की त्रिवेणी बहाते रहते हैं। ओल्ड विजय नगर कॉलोनी डॉ अनुज के निवास पर आयोजित चौरंगा इंद्रधनुष उपन्यास विमोचन एवं साहित्य समागम समारोह के दौरान आगरा साहित्य जगत के लोगों ने पुस्तक की जमकर सराहना की। शहर के जाने-माने वरिष्ठ चिकित्सक माइक्रोसर्जन डॉ अनुज ने चिकित्सा के माध्यम से मानव सेवा करते हुए अपनी साहित्यिक रुचि को आगे बढ़ते हुए चौरंगा इंद्रधनुष उपन्यास के माध्यम से चार घनिष्ठ मित्रों की कहानी को इस तरीके से शब्दों में प्रयोग है कि इंद्रधनुष के सात रंग मित्रता के चार रंग की तरह मिलकर परस्पर मधुर संबंध जिंदगी भर निभाते हैं।
पुस्तक विमोचन समारोह के अवसर पर आयोजित काव्य पाठ में शहर की लता मंगेशकर के नाम से पहचान रखने वाली डॉ निशि राज ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत कर मां सरस्वती का अभिवादन किया। जाने माने साहित्यकार विश्लेषक डॉक्टर आर एस तिवारी शिकरेश ने अपने काव्य पाठ में मित्रता के संबंधों को प्रस्तुत किया। काव्य मंच पर विराजमान डॉ कुसुम चतुर्वेदी, डॉ राजेंद्र मिलन, नीलम भटनागर, डॉ अनुज कुमार एवं कार्यक्रम का संचालन कर रहीं शशि गुप्ता ने मित्रता भाव पर काव्य पाठ के माध्यम से पुस्तक के विषय में अपने विचार रखे।
डॉ निशि राज ने कहा बड़ी शिद्दत से रंग भर दे खयालों की किताबों में उसे फनकार कहते हैं कला के वास्ते जीता, कला के वास्ते मरता उसे फनकार कहते हैं। कहते हुए डॉ अनुज की पुस्तक के मैत्री भाव को प्रदर्शित किया।

अनुभव तूलिका का शब्द समागम है चौरंगा इंद्रधनुष
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ अनुज की पुस्तक चौरंगा इंद्रधनुष के विमोचन समारोह में काव्य जगत से जुड़े हुए साहित्यकारों ने एक स्वर में कहा यह पुस्तक चार मित्रों की ऐसी अनूठी कहानी है जिसमें परस्पर मधुर संबंध बनाते हुए चारों मित्र जीवन भर संबंधों को निभाते हैं।
पुस्तक के लेखक डॉ अनुज ने बताया कि इंद्रधनुष और मित्रता दोनों ही विविधता और सुंदरता का अटूट संबंध और समानता है जिसे शब्दों के माध्यम से प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। जिसमें इंद्रधनुष के सात रंगों को मैत्री भाव के चार रंगों में पिरोया गया है।

इनकी रही मौजूदगी
चौरंगा इंद्रधनुष उपन्यास विमोचन समारोह एवं काव्य पाठ में शहर भर के जाने-माने साहित्य कला और लेखन से जुड़े हुए हस्ताक्षर मौजूद रहे। जिनमें प्रमुख रूप से डॉ आर एस तिवारी शिकरेश, डॉ मधुराम शर्मा, डॉ राजेंद्र मिलन, डॉ कुसुम चतुर्वेदी, डॉ अनुज कुमार, डॉ निशी राज, कुमार ललित, प्रकाश गुप्ता वेबाक, नीलम भटनागर, राकेश निर्मल, सहित बड़ी संख्या में साहित्य जगत से जुड़े महानुभाव मौजूद रहे।

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