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शिकायत पेटिका पर एक ताला मेरा तो एक डीएम का – भाजपा विधायक

by admin

आगरा नगर निगम में कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार के चल रहे खेल के खिलाफ भाजपा विधायक जगन प्रसाद गर्ग ने जो मोर्चा खोला है और जो तेवर दिखाए हैं वह लखनऊ से वापस आने पर भी बरकरार हैं।

डैमेज कंट्रोल के रुप में नगर आयुक्त की ओर से भ्रष्टाचार को लेकर उसकी शिकायत के लिए निगम में एक शिकायत पेटी का लगवाई गई है। लेकिन विधायक जगन इतने से भी मानने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ जो लड़ाई शुरू की है उसे अंजाम तक पहुंचाकर ही दम लेंगे।

बताते चलें कि कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार में कौन-कौन लोग शामिल है इसकी शिकायत के लिए विधायक जगन प्रसाद गर्ग मुख्यमंत्री से मिलने के लिए लखनऊ गए थे लेकिन मुख्यमंत्री से मुलाकात ना होने पर विधायक जगन प्रसाद गर्ग ने इस पूरे कमीशनखोरी के शिकायत नगर विकास मंत्री से की है। नगर विकास मंत्री को उन्होंने ज्ञापन सौंपा है और उसमें साफ-साफ लिखा है कि किस अधिकारी का कितना कमीशन है और विकास कार्य कराए जाने वाले टेंडरों में ऊपर से लेकर नीचे तक कर्मचारी किस तरह से लिप्त हैं।

लखनऊ से लौटने के बाद विधायक जगन प्रसाद गर्ग ने अपने आवास पर प्रेस वार्ता की। विधायक जगन प्रसाद गर्ग के निशाने पर नगर आयुक्त अरुण प्रकाश थे। नगर आयुक्त द्वारा लगाईं गयी पेटिका को लेकर विधायक का साफ तौर से कहना था कि इस शिकायत पेटी पर एक ताला विधायक का होगा तो दूसरा ताला जिलाधिकारी का लगाया जाएगा। क्योंकि शिकायत पेटिका में भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी जो भी शिकायतें आएगी उसमें भी खेल हो सकता है।

विधायक जगन का कहना था कि नगर विकास मंत्री से जो शिकायत की गई है। भविष्य में उसके परिणाम जरूर देखने को मिलेंगे क्योंकि नगर विकास मंत्री भी भ्रष्टाचार को लेकर सख्त रवैया अपना ही हुए हैं। विधायक जगन प्रसाद गर्ग की यह लड़ाई थमने का नाम नहीं ले रही है।

यह लड़ाई उस समय शुरू हुई थी जब विधायक क्षेत्र में नगर निगम की ओर से कराए जाने वाले विकास कार्यों के शिलान्यास पट्टिका में विधायक का नाम नहीं था। नगर निगम में परंपरा चली आ रही है कि नगर निगम की ओर से विकास कार्य कराए जाएंगे। पट्टिका पर नगर विकास मंत्री के साथ-साथ क्षेत्रीय विधायक और क्षेत्र के पार्षद का नाम होगा लेकिन कई सालों से इसका पालन नहीं किया जा रहा था। जिसके बाद अपने विधानसभा क्षेत्र में काम करवाने के बाद पट्टिका में नाम न होने पर यह मामला उछला।

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