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सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, सेक्स वर्क को बतौर प्रोफेशन स्वीकार किया

by admin
Important decision of the Supreme Court, accepted sex work as a profession

नई दिल्ली (26 May 2022)। सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, सेक्स वर्क को बतौर प्रोफेशन स्वीकार किया। पुलिस को दी हिदायत, कंडोम को बतौर सुबूत इस्तेमाल न करें। मीडिया को भी दी हिदायत

पेशे में शामिल लोगों को सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में सेक्स वर्क को बतौर प्रोफेशन स्वीकार किया है। उन्होंने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पुलिस वालों को यौन कर्मियों और उनके बच्चों के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करने और मौखिक या शारीरिक रूप से दूर व्यवहार नहीं करने के आदेश जारी किए हैं। जस्टिस नागेश्वर राव, जस्टिस जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि इस पेशे में शामिल लोगों को सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार है। उन्हें कानून के तहत समान सुरक्षा का अधिकार है। साथ ही कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया है कि अगर इस पेशे से जुड़े लोग वयस्क हैं और आपसी सहमति से संबंध बना रहे हैं, तो इस पेशे में शामिल लोगों के जीवन में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और ना ही उनके खिलाफ कोई आपराधिक कार्रवाई करनी चाहिए।#sexwrk

सेक्स वर्कर्स को समान कानूनी सुरक्षा का अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस बात को कहने की कतई आवश्यकता नहीं है कि इस पेशे में होने के बावजूद हर व्यक्ति को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सम्मानजनक जीवन जीने का पूरा अधिकार है। सेक्स वर्कर्स को समान कानूनी सुरक्षा का अधिकार है, सभी मामलों में उम्र और आपसी सहमति के आधार पर क्रिमिनल लॉ समान रूप से लागू होना चाहिए। यह साफ है कि सेक्स वर्कर्स वयस्क हैं और सहमति से यौन संबंध बना रहे हैं तो पुलिस को उनसे दूर रहना चाहिए। उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने यह फैसला दिया है। बेंच के अध्यक्ष जस्टिस एल नागेश्वर राव हैं। कोर्ट ने यह आदेश आर्टिकल 142 के तहत विशेष अधिकारों के तहत दिया है।

ना किया जाए बच्चे को मां से अलग
बेंच ने कहा कि जब भी कहीं पुलिस छापा मारे तो सेक्स वर्कर्स को ना तो गिरफ्तार किया जाना चाहिए, ना उन्हें सजा देनी चाहिए। उन्हें प्रताड़ित भी नहीं किया जाना चाहिए। चूंकि स्वयं से और सहमति से यौन संबंध गैर कानूनी नहीं है, सिर्फ वेश्यालय चलाना अपराध है। सेक्स वर्कर के बच्चे को उसकी मां से अलग नहीं किया जाना चाहिए सिर्फ यह सोचकर कि वह वेश्यावृत्ति में लिप्त है। मौलिक सुरक्षा और सम्मानपूर्ण जीवन का अधिकार सेक्स वर्कर और उनके बच्चों को भी है। अगर नाबालिग को वेश्यालय में रहते हुए पाया जाता है, या सेक्स वर्कर के साथ रहते हुए पाया जाता है तो ऐसा नहीं माना जाना चाहिए कि बच्चा तस्करी करके लाया गया है।

मुहैया कराई जाए मेडिको-लीगल मदद
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि अगर सेक्स वर्कर पुलिस से शिकायत दर्ज कराती है तो उसके साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। खासकर कि तब जब अपराध यौन संबंध से जुड़ा हुआ हो। सेक्स वर्कर अगर यौन अपराध का शिकार हैं तो उन्हें हर तरह की मदद, मेडिको-लीगल मुहैया कराई जानी चाहिए। ऐसा पाया गया है कि पुलिस का सेक्स वर्कर के साथ रवैया अच्छा नहीं है, अक्सर उनके साथ बर्बरता और हिंसा होती है। उन्हें ऐसा माना जाता है कि उनकी कोई पहचान नहीं है।

मीडिया को हिदायत
कोर्ट ने कहा कि मीडिया को सेक्स वर्कर की पहचान सार्वजनिक नहीं करनी चाहिए। अगर उन्हें गिरफ्तार किया जाता है या उनके ठिकानों पर छापेमारी की जाती है या उन्हें बचाने का अभियान चलाया जाता है, ऐसे में ना तो उनका नाम पीड़िता और ना ही दोषी के तौर पर सार्वजनिक किया जाना चाहिए। उनकी कोई फोटो या वीडियो भी नहीं सार्वजनिक करनी चाहिए, जिससे उनकी पहचान सार्वजनिक हो। कोर्ट ने कहा कि याद रहे किसी भी तरह की तांक-झांक अपराध है।

पुलिस को दी हिदायत, कंडोम को बतौर सुबूत इस्तेमाल न करें
कोर्ट ने इसके साथ ही स्पष्ट तौर पर पुलिस को आदेश दिया है कि अगर सेक्स वर्कर कंडोम का इस्तेमाल करती हैं तो इसे बतौर सबूत के तौर पर कतई इस्तेमाल नहीं करें। अदालत ने सुझाव दिया है कि केंद्र और राज्य को कानून में सुधार के लिए यौनकर्मियों या फिर उनके प्रतिनिधियों को शामिल करना चाहिए। कोर्ट के इस फैसले को बड़ा फैसला माना जा रहा है। माना जा रहा है कि कोर्ट के इस फैसले से आने वाले समय में वेश्वावृत्ति से जुड़े लोगों को बड़ी राहत मिल सकती है।

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