आगरा। एनीमिया एक बड़ी समस्या है, इसके कारण न केवल स्वास्थ्य पर असर पड़ता है, बल्कि गर्भावस्था में महिला की स्थिति गंभीर बन सकती है। ऐसी ही परिस्थिति निशा के साथ हुई। गर्भावस्था के पांचवें महीने में उन्हें पता चला कि वह गंभीर रूप से एनीमिक हैं। वह जीवनी मंडी स्वास्थ्य केंद्र गईं, जहाँ पर उन्हें आयरन सूक्रोज लगाया गया। इसके बाद प्रसव के समय तक उनकी स्थित ठीक हो गई। अब निशा और उनका बच्चा सुरक्षित हैं।
जीवनीमंडी स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. मेघना शर्मा ने बताया कि कई महिलाओं में खून की कमी होती है। इसे दूर करने के लिए हम उन्हें जागरुक करते हैं और आयरन की दवाएं देते हैं। निशा भी उन्हीं में से एक थीं। जब वह गर्भावस्था के पांचवें महीने में केंद्र पर आईं तो सीवियर एनीमिक पाई गईं। निशा काफी कमजोरी महसूस कर रहीं थी। उन्हें आयरन सूक्रोज की डोज दी गईं। इसके बाद निशा की स्थिति में सुधार हुआ। लगातार फॉलोअप के बाद निशा के प्रसव के समय तक उनकी स्थिति ठीक हो गई और हीमोग्लोबिन 9.5 ग्राम हो गया। इससे निशा का प्रसव सुरक्षित हो गया। डॉ. मेघना ने बताया कि जीवनीमंडी स्वास्थ्य केंद्र पर अब तक 24 महिलाओं की सही समय पर जांच करके और उन्हें आयरन सूक्रोज की डोज देकर उनका सुरक्षित प्रसव कराया जा चुका है।
निशा ने बताया कि जब वह गर्भवती हुईं तो शुरुआती दिन तो ठीक थे। कुछ समय बाद उन्हें लगातार थकान होने लगी। कुछ भी काम करने पर उनकी सांस फूलने लगती थी, आंखों के सामने अंधेरा छाने लगता था। उनके नाखून और आंखे सफेद हो गई थीं। इसके बाद एएनएम जीवनीमंडी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गईं। वहां पर डॉ. मेघना ने उनका चेक-अप किया और उन्होंने दवाएं दीं, आयरन सूक्रोज दिया। इसके बाद धीरे-धीरे आराम होने लगा। उन्होंने आराम करने और खाने-पीने का ध्यान रखने के लिए कहा। मेरी खुराक व खानपान के बारे में भी बताया। परिवार वालों ने उसी के मुताबिक़ मेरा ख्याल रखा। इस दौरान आशा कार्यकर्ता ने लगातार फॉलोअप भी किया। अब मैं और मेरा बच्चा सुरक्षित है।
इसी प्रकार से लाभार्थी प्रभा ने भी बताया कि उनका भी खून कम था, तो डॉ. मेघना ने उन्हें समय-समय पर आयरन सूक्रोज की तीन डोज दी और खाने-पीने का ध्यान रखने को कहा। इसके बाद मैंने हर महीने अपनी जांच कराई। धीरे-धीरे मेरी तबियत ठीक होने लगी। इसके बाद जब प्रसव हुआ तो मुझे कोई परेशानी नहीं हुई। अब मैं और मेरा बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।
गर्भवास्था में खून की कमी खतरे की घंटी
डॉ. मेघना शर्मा ने बताया कि प्रसव के दौरान प्रसूता एवं नवजात को किसी प्रकार की परेशानी का खतरा गर्भावस्था के दौरान बेहतर स्वास्थ्य प्रबंधन पर निर्भर करता है। गर्भावस्था में बेहतर शिशु विकास एवं प्रसव के दौरान होने वाले रक्त स्त्राव के प्रबंधन के लिए महिलाओं में पर्याप्त मात्रा में खून होना जरूरी है। ऐसे में एनीमिया प्रबंधन के लिए प्रसव पूर्व जांच के प्रति महिलाओं की जागरूकता न सिर्फ एनीमिया रोकथाम में सहायक होती है, बल्कि सुरक्षित मातृत्व भी सुनिश्चित करती है। गर्भावस्था में एनीमिया प्रबंधन बहुत ही जरूरी होता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में खून की कमी उनके व उनके बच्चे के लिए खतरे की घंटी है।
एनीमिया को दूर करता है आयरन सूक्रोज
डॉ. मेघना ने बताया कि शरीर को स्वस्थ और फिट रहने के लिए अन्य पोषक तत्वों के साथ-साथ आयरन की भी जरूरत होती है। आयरन ही हमारे शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है। यह कोशिकाएं ही शरीर में हीमोग्लोबिन बनाने का काम करती हैं। हीमोग्लोबिन फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर रक्त में ऑक्सीजन पहुंचाता है। इसलिए आयरन की कमी से शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है और हीमोग्लोबिन कम होने से शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। जिन गर्भवती का हीमोग्लोबिन बहुत कम होता है, उनको आयरन सूक्रोज देकर एनिमिया को दूर किया जा सकता है।
12 से ज्यादा हेमोग्लोबीन होने पर एनीमिया नहीं
एनीमिया की पहचान हीमोग्लोबिन लेवल जांच करने के बाद की जाती है। इसे तीन भागों में बांटा गया है। पहला हीमोग्लोबिन लेवल 12 ग्राम से ज्यादा है तो एनिमिया नहीं माना जाता है। हीमोग्लोबिन 7 ग्राम से 10 ग्राम होता है उसे मॉडरेट एनीमिया कहते हैं। यदि हीमोग्लोबिन 7 ग्राम से नीचे है तो उसे सीवियर एनीमिया माना जाता है।