प्रदेश के 71 जिलों में डेंगू अपने पैर पसार चुका है। सरकारी आंकड़ों के हिसाब से डेंगू पीड़ितों की कुल संख्या (बीते दिन तक) 1528 जा पहुंची है। वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है। सबसे ज्यादा नाजुक हालत अभी भी फिरोजाबाद की बनी हुई है। प्रदेश में डेंगू के सबसे ज्यादा केस फिरोजाबाद में ही मिले हैं। सुहागनगरी में अब तक कुल 598 मरीज डेंगू के मिल चुके हैं। इसके अलावा मथुरा में 174, वाराणसी में 114 और लखनऊ में 101 मरीज मिले हैं। मथुरा और फिरोजोबाद के हालात नाजुक बने हुए हैं।इसीलिए डॉक्टरों की एक विशेष टीम फिर से इन दोनों जिलों के दौरे पर गई है।
कानपुर जैसे शहरों की बात करें तो हर रोज लगभग 300 से 400 बुखार से पीड़ित मरीज अस्पतालों की ओपीडी में आ रहे हैं। कानपुर के सीएमओ डॉ. नैपाल सिंह ने बताया कि अभी तक 61 मामले डेंगू के सामने आ चुके हैं। ऐसे ही हालात लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी और गोरखपुर के भी दिख रहे हैं। गोरखपुर के सीएमओ डॉ. सुधाकर पांडेय ने कहा कि जिले में औसतन 100 बुखार पीड़ित हर रोज अस्पतालों में आ रहे हैं। हालांकि इनमें से ज्यादातर की तबीयत दवाओं के बाद ठीक हो जा रही है। डेंगू, मलेरिया और जापानी इनसेफ्लाइटिस के फिलहाल कोई केस नहीं आये हैं।
डेंगू के डी-2 स्ट्रेन के कारण बढ़ा खतरा
स्वास्थ्य विभाग की टीम डॉ. विकास सिंघल के नेतृत्व में एक बार फिर से मथुरा पहुंच गयी है। डॉ. सिंघल ने बताया कि दो-दो लोगों की टीम को घर-घर भेजा जा रहा है। फिरोजाबाद से लौटी केन्द्र सरकार की टीम ने अपनी रिपोर्ट दे दी है। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ वेद व्रत सिंह ने कहा कि टीम ने जांच में पाया है कि डेंगू के डी-2 स्ट्रेन के कारण खतरा बढ़ गया है। सीरो टाइप 2 के कारण संक्रमण ज्यादा तेजी से और घातक हो रहा है। फिरोजाबाद में हो रही मौतों का सिलसिला अब पहले से काफी कम हो गया है।
एक हफ्ते में बढ़े तीन गुना मरीज
चिंताजनक बात यह है कि डेंगू मरीजों की संख्या एक हफ्ते में तीन गुणा हो गई है। 3 सितंबर को प्रदेश में डेंगू मरीजों की संख्या 578 थी, जबकि 9 सितंबर को ये संख्या 1528 पहुंच गई है। इसी बिगड़ते हालात के मद्देनजर सरकार ने फैसला किया है कि कोरोना की तीसरी लहर के लिए जिले-जिले में जो पीकू वॉर्ड बनाए गए थे, उनमें बुखार से पीड़ित मरीजों को भर्ती किया जाए।
मच्छरदानी मुहैया कराएगी सरकार
डीजी हेल्थ डॉ. वेद व्रत सिंह ने कहा कि सभी अस्पतालों को निर्देश दे दिया गया है कि भर्ती होने वाले मरीजों को बेड के साथ-साथ लगाने के लिए मच्छरदानी भी दी जाए। अस्पताल में भर्ती बुखार के मरीजों को और किसी तरह के संक्रमण का खतरा न हो इसके लिए मच्छरदानी दी जा रही है। सरकार मच्छरदानी का खर्च उठा रही है।