उत्तर प्रदेश में ब्लैक फंगस का इलाज करने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों ने दो नई दवाइयों पर अपनी मुहर लगा दी है। मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा एंफोटेरिसीन-बी के इंजेक्शन के साथ दो और नई दवाओं से इलाज शुरू करने की राय विशेषज्ञों द्वारा दी गई है।संजय गांधी पीजीआइ के डायरेक्टर डा. आरके धीमान की अध्यक्षता में गठित कमेटी की सिफारिश के आधार पर अब ब्लैक फंगस के रोगियों के इलाज में इसावुकोनाजोल और पोसकोनाजोल दवाओं का इस्तेमाल किया जाएगा।दरअसल विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम द्वारा इन दवाओं के गहन अध्ययन के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया है कि यह दोनों ही दवाएं ब्लैक फंगस के इलाज में कारगर साबित होंगी। उत्तर प्रदेश में ब्लैक फंगस के कुल 1471 मरीज अब तक मिल चुके हैं।
विशेषज्ञों से मिली राय के मुताबिक सीएम योगी ने तत्काल डॉक्टरों की कमेटी की सिफारिश को लागू करने की इजाजत दी है ।साथ ही दोनों दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता के प्रयास भी तेज करने के निर्देश दिए हैं। एंफोटेरिसीन-बी के इंजेक्शन को लेकर अब पहले से कम किल्लत है। माना जा रहा है कि अब मरीजों की केस हिस्ट्री ,इलाज के लिए सुनियोजित नीति, दवाइयों की उपलब्धता से ब्लैक फंगस को हराया जा रहा है। शुरुआती दिनों से ही ब्लैक फंगस का पता चलने के बाद इसका इलाज करना भी संभव हो जाता है ।यही कारण है कि मरीज दवाओं से ही अब ठीक हो रहे हैं।बता दें अब तक मिले कुल 1471 मरीजों में से एक तिहाई रोगियों को ही सर्जरी की आवश्यकता पड़ी है।
सीएम योगी ने इन मरीजों के बेहतर इलाज के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। ब्लैक फंजस के मरीजों का इलाज करने के लिए एक रैपिड रिस्पांस टीम भी गठित की गई है। वहीं 12 सदस्यीय विशेषज्ञ कमेटी में डॉक्टर अमित केसरी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।अगर ब्लैक फंगस की भूमिका के बारे में बात की जाए तो कोरोना वायरस के संक्रमण की चुनौतियों के बीच राईनोसेरेबल म्यूकरमाईकोसिस (ब्लैक फंगस) नाम का रोग उजागर हुआ है जो कि कोरोनावायरस से ठीक हुए मरीजों के लिए खतरा बन चुका है। कोरोना से बचाव और इसके इलाज के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी जिला अधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों को गाइड लाइन जारी की है। इस रोग का प्रारंभिक अवस्था में पता चल जाना इसके उपचार के लिए बेहतर परिणाम साबित हो सकता है। वहीं नोडल अधिकारी अमित केसरी का कहना है कि स्ट्रॉयड का तर्कसंगत उपयोग इस रोग से बचाव का सबसे अच्छा उपाय है, लेकिन इसके साथ ही ब्लड शुगर का कंट्रोल होना भी बहुत जरूरी है।