हर रिश्ते को बखूबी से निभाती है मां,
सब रिश्तों से पहले बच्चों का ख्याल लाती है मां।
धड़कनों को पहले सुनने का अरमान रखते हुए,
गर्भ में बच्चे के दर्द भरे एहसास को,
मुस्कुराकर सहती है मां।
ज़रा सा बुखार आ जाए तो नज़र उतारती है मां ,
दवाओं से ज्यादा दुआओं पर भरोसा जताती है मां ,
आंखें रोने से लाल हों तो छुपाते हुए बहाना बनाते हैं हम,
पर उतरा हुआ चेहरा,उदास मन पहचान जाती है मां।
घर पहुंचूं और सन्नाटा दिखे तो बहुत याद आती है मां,
कमजोर रिश्तों की कड़ी को मजबूत डोर से पिरोती है मां।
भगवान का अनमोल तोहफा ,भगवान स्वरूप मानी जाती है मां,
फेर दे हंसकर सर पर हाथ, बिगड़े काम बनाने वाली हो जाती है मां।
दुख सहकर भी हर पल खुशियां लुटाती है मां,
अपनी ज़िंदगी से जीवन देती है मां।
पूजनीय, वंदनीय ,जीवन की सारथी है मां,
भगवान अराध्य हैं,पर भगवान को भी जन्म देती है मां।
सौजन्य से : ………… आकांक्षा गुप्ता