आगरा। लॉकडाउन के दौरान इलाज के अभाव के हुई दो मासूम और एक गर्भस्थ शिशु की मौत की घटना को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने गंभीरता से संज्ञान में लिया है। शिकायत के 24 घंटे के अंदर ही संज्ञान में लेते हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस मामले में जिला अधिकारी आगरा को नोटिस जारी किया है और तीन दिन में तीन बच्चों की मृत्यु के मामले में रिपोर्ट मांगी है।
आपको बताते चले कि कोविड-19 से बचाव के लिए केंद्र सरकार की ओर से पूरे देश में लाॅकडाउन किया गया है। इस लाॅकडाउन के कारण आगरा शहर भी बंद है लेकिन जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों के इलाज लिए कोई उचित व्यवस्था नही की है। निजी अस्पताल बंद है तो सरकारी अस्पताल कोरोना के अलावा किसी मरीज का इलाज नहीं कर रहे है। जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की
लापरवाही के चलते ईलाज के अभाव में कई लोगों के साथ दो मासूम बच्चों और एक गर्भस्थ शिशु की मौत हो चुकी है। शहर की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट एवं महफूज संस्था के समन्वयक नरेश पारस ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से शिकायत
की थी।
आठ माह के बच्चे की हुई मौत – तेलीपाड़ा निवासी मोहम्मद बिलाल हमजा के 29 अप्रैल को 6 माह के बेटे हमजा गौरी की इलाज के अभाव में मौत हो गयी थी। परिवारीजन उसे जिला अस्पताल लेकर गए लेकिन वहां इलाज नही मिला। इसके बाद वो प्रतापपुरा और शाहगंज के निजी अस्पताल लेकर गए। मगर, दोनों जगह डॉक्टर नहीं मिले। ईलाज के अभाव में बच्चे की मौत हो गई।
12 वर्ष के बच्चे ने भी तोड़ा दम – छीपीटोला के औलिया निवासी जूता कारीगर के 12 वर्षीय बेटे निहाल की 25 अप्रैल को पेट दर्द होने पर ईलाज के लिए उसे लेकर रातभर निजी व सरकारी अस्पतालों के चक्कर काटता रहा लेकिन बच्चे को किसी ने भी भर्ती नहीं किया। परिजन बच्चे को घर ले आए सुबह हालत बिगड़ने पर बच्चे की मौत हो गई।
गर्भ में ही हो गई बेटी की मौत – शास्त्रीपुरम निवासी दीपिका शर्मा पत्नी राहुल शर्मा गर्भ धारण के बाद से ही अर्जुन नगर स्थित मित्तल हाॅस्पिटल में डाॅ. रेणुका मित्तल से ईलाज कर रही थी। प्रसव भी यहीं कराना था। 22 अप्रैल को प्रसव पीड़ा होने पर परिजन दोपहर तीन बजे मित्तल हाॅस्पिटल ले गए लेकिन अस्पताल में भर्ती करने से मना कर दिया। किसी भी निजी अस्पताल ने उसे भर्ती नहीं किया। जिला महिला चिकित्सालय में डाक्टरों ने जांच करके बताया कि गर्भ में बच्चे की मौत हो चुकी है।
लाॅकडाउन में प्रशासन की अवस्थाओं के चलते इन तीनो बच्चों को ईलाज नहीं मिल पाया जिससे उनकी मौत हो गयी। चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट एवं महफूज संस्था के समन्वयक नरेश पारस की इस शिकायत का संज्ञान लेकर आयोग ने डीएम प्रभु नारायण सिंह को नोटिस जारी कर तीन दिन में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इससे प्रशासनिक अमले में हड़कंप मचा हुआ है।