Agra. असफलता ही सफलता ही कुंजी है। इसलिए हारने के बावजूद इस बार भी हसनुराम आंबेडकरी चुनावी मैदान में है और भारतीय संविधान के अनुसार वह 93वां चुनाव लड़ रहा हैं।
उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव में एक से बढ़कर एक प्रत्याशी देखने को मिल रहे हैं। घूंघट की आड़ में नव विवाहिता इस चुनाव में ताल ठोक रही है तो वहीं देवरानी जेठानी के साथ-साथ बुजुर्ग और युवा भी दमखम लगाए हुए है। इस चुनाव में एक प्रत्याशी ऐसा है जो हर चुनाव को लड़ता है। इसके लिए उन्होंने ग्राम प्रधान से लेकर राष्ट्रपति तक का चुनाव लड़ा है। आगरा में नामांकन के आखिरी दिन खेरागढ़ के नगला दूल्हे गांव के रहने वाले हसनुराम अंबेडकरी ने भी पर्चा दाखिल किया है। खास बात ये है कि वह एक या दो बार नहीं, बल्कि 92 बार चुनाव लड़ चुके हैं। हसनुराम कहते हैं कि वह चुनाव जीतने के लिए नहीं हारने के लिए लड़ते हैं क्योंकि असफलता ही सफलता की कुंजी है। जब तक असफलता ना मिले सफलता का महत्व समझ में नहीं आता है।
74 साल की उम्र में लड़ चुके हैं 92 चुनाव –
हसनुराम अंबेडकरी का जन्म 1947 में हुआ था। वह 74 साल के हो चुके हैं। हसनुराम पेशे से मनरेगा मजदूर हैं। उनका दावा है कि वह 74 साल की उम्र में 92 चुनाव लड़ चुके हैं। उन्होंने बताया कि पहला चुनाव सन 1985 में लड़ा था। विधायकी के पहले चुनाव में अंबेडकरी हार गए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने ग्राम प्रधान से लेकर राष्ट्रपति तक का चुनाव लड़ा। अंबेडकरी ने ग्राम पंचायत सदस्य का चुनाव हो या विधायक, सांसद हो या राष्ट्रपति का चुनाव, हर किसी में नामांकन दाखिल किया है।
जिला पंचायत के वार्ड 31 से चुनावी मैदान में उतरे –
हसनुराम अंबेडकरी इस बार जिला पंचायत के वार्ड 31 से सदस्य के रूप में चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतरे हैं। चुनाव के लिए उन्होंने अपना नामांकन दाखिल किया है। हसनुराम का कहना है कि वह चुनाव जीतने के लिए नहीं, बल्कि हारने के लिए लड़ते हैं। हसनुराम ने बताया कि फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट से भी चुनाव लड़ा था और करीब 4200 वोट पाए थे। अंबेडकरी का कहना है कि अगर वह जिंदा रहे तो 2022 का विधानसभा चुनाव भी जरूर लड़ेंगे।
समाजसेवा में लगाते हैं कमाई का आधा हिस्सा –
हसनुराम का कहना है कि वह जो भी कमाई करते हैं, उसमें से आधा समाजसेवा पर लगा देते हैं। हसनुराम का कहना है कि उनका उद्देश्य यही है कि वे चुनाव हारते रहें जिससे लोगों के बीच में ही हमेशा रहें। हसनुराम ने तंज कसते हुए कहा कि अगर वो चुनाव जीत गए तो लोगों को पहचान भी नहीं पाएंगे।