आगरा। लगभग 10 साल से लंबित चल रहे मुकदमे में आगरा के महापौर नवीन जैन सहित सात लोगों को बड़ी राहत मिल ही गई। विशेष न्यायाधीश उमाकांत जिंदल ने महापौर नवीन जैन सहित 7 लोगों को दोषमुक्त पाते हुए इस मुकदमे में रिहा करने का आदेश दिया। जिसके बाद महापौर नवीन जैन और उनके समर्थक काफी उत्साहित नजर आए। भाजपा कार्यकर्ताओं ने महापौर नवीन के साथ रिहा हुए सभी भाजपा कार्यकर्ताओं को फूल मालाओं से लाद दिया और उनका जोरदार स्वागत किया। महापौर नवीन जैन ने कहा कि 10 सालों के संघर्ष के बाद आखिरकार सच्चाई की जीत हुई है। उन्होंने कहा कि भाजपा के हर कार्यकर्ता का शुरू से ही न्यायपालिका पर पूरा भरोसा रहा है।
मामला 2011 का है। विभिन्न मुद्दों और आम जनता की समस्याओं को लेकर तत्कालीन सरकार के खिलाफ जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया गया था। इस प्रदर्शन के मामले में थाना नाई की मंडी में धारा 147 और 427 में मुकदमा दर्ज हुआ था। तभी से यह मामला न्यायालय में विचाराधीन था। महापौर नवीन जैन के साथ इस मामले में शिवकुमार राजौरा, पिंकी सक्सेना, अखिलेश चौहान, अशोक लवानिया, जितेंद्र गोयल, जयदीप सोनकर भी शामिल थे। विगत 10 वर्षों से लंबित चल रहे इस मामले में शुक्रवार को विशेष न्यायधीश एमपी एमएलए कोर्ट में सुनवाई हुई। महापौर नवीन जैन की ओर से उनकी पैरवी अधिवक्ता के के शर्मा ने की थी। न्यायाधीश उमाकांत जिंदल के समक्ष अदालत में खुली बहस हुई। अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में असफल रहा जिसके बाद विशेष न्यायधीश उमाकांत जिंदल ने महापौर नवीन जैन सहित अन्य भाजपा कार्यकर्ताओं को दोषमुक्त करार दिया और उन्हें इस मुकदमे से रिहा कर दिया।
विशेष न्यायधीश उमाकांत जिंदल ने अपने आदेश में लिखा कि अभियुक्त गण नवीन जैन, शिवकुमार राजौरा, पिंकी सक्सेना, अखिलेश चौहान, अशोक लवानिया, जितेंद्र गोयल, जयदीप सोनकर को धारा 147, 427 के आरोपों से संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त किया जाता है।
विशेष न्यायाधीश ने जैसे ही महापौर नवीन जैन सहित अन्य भाजपा कार्यकर्ताओं को दोष मुक्त होने का आदेश दिया तो भाजपा कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई। महापौर नवीन जैन के समर्थकों ने फूल मालाओं से उन्हें लाद दिया।
इस अवसर पर महापौर नवीन जैन का कहना था कि 10 साल पहले जनता की विभिन्न समस्याओं को लेकर हुए प्रदर्शन के मामले तत्कालीन सरकार के निर्देश पर जो मुकदमा दर्ज हुआ था। आज उसमें सच्चाई की जीत हुई है। हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा था और न्यायाधीश उमाकांत जिंदल ने सभी को दोषमुक्त करार दिया है।
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