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विशाल मातृशक्ति आयोजन में 4 हज़ार महिलाओं ने समाज के विकास में योगदान देने का लिया संकल्प

by admin

आगरा। ‘जब तक हमारी जड़े मजबूत नहीं तब तक हम सशक्त नहीं हो सकते। आसमान में भी उड़ने वालों और एक बृहद वृक्ष को भी खड़े रहने के लिए जड़ों की आवश्यकता होती है। क्योंकि जब तक जड़े मजबूत नहीं होंगी, तब तक आप आकाश में होते हुए भी नीचे ही गिरे दिखाई पड़ेंगे। ये जड़े हमारी माताएं ही हो सकती हैं। मां से ही हमारी जड़ें और संस्कृति है। संस्कृति के कारण ही हमारा देश पूरे विश्व में जाना जाता है। पश्चिमी देशों में विकास तो बहुत हुआ लेकिन संस्कृति नहीं है। तभी ब्रज की होली और कुम्भ के मेले में भारतीय संस्कृति देखने विश्व भर से लोग आते हैं।’ माथुर वैश्य सेवा सदन पचकुईंया में मातृशक्ति समन्वय सम्मेलन समिति पश्चिम महानगर द्वारा आयोजित विशाल मातृशक्ति सम्मेलन में यह वक्तव्य मुख्य वक्ता पूर्व वायुसेना अधिकारी तूलिका रानी ने देते हुए कार्यक्रम में मौजूद लगभग चार हजार से अधिक मातृशक्ति को देश और समाज के विकास में भागीदार बनने के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने कहा कि दुनियाभर के लोग भारत में अपनापन महसूस करते हैं। विश्व का हर व्यक्ति हमारा भाई बंधु है। ये अपनापन हममें हमारी मां भरती है। हम जी-20 के माध्यम से पूरे विश्व को नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं। भारत आज आर्थिक रूप से महिलाओं के कारण सशक्त है। पश्चिमी देश महिला शक्तिकरण की बात करते रहे हैं, लेकिन भारत द्वारा जी-20 के कोर एजेंडा में महिलाओं द्वारा विकास की प्रक्रिया में नेतृत्व दर्शाता है कि हमारे देश में महिलाएं सशक्त हैं। हमें उनका नेतृत्व स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं।

तूलिका रानी ने बताया कि कोविड में पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था डगमगा गई, आईएनएस ने कहा कि ग्लोबल ट्रेड घट कर 5.4 प्रतिशत से 2.4 प्रतिशत हो जाएगा, लेकिन भारत की आर्थिक व्यवस्था 6.5 प्रतिशत की दर से बढेगी। यह बढ़त भारत के गांव से हो रही है। गांव-गांव में महिलाओं द्वारा पनप रहे कुटीर उद्योग देश के विकास में योगदान दे रहे हैं।

सम्मेलन के मुख्य अतिथि राम कथा मर्मज्ञ सुनील कौशल (वृन्दावन) ने कहा कि नारी सशक्तिकरण शब्द भारत के लिए नहीं बना, भारत की नारी इतनी सशक्त है कि भगवान को अपनी गोद में जन्म देने के लिए आह्वान करती है। दुनिया को कोई देश अपनी मातृभूमि को मां नहीं कहता है। सिर्फ भारत की जो धरती को मां कहता है। इसीलिए भारत की धरती पर खुद भगवान जन्म लेते हैं। भारत की मां इतनी शक्तिशाली है कि वह भगवान को भी इंसान बनना सिखाती है। लव जिहाद पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि समस्या का कारण बच्चों से संवाद बंद होना है। आज एक कमरे में बैठा सदस्य दूसरे से मोबाइल पर बात करता है। इस पर चिन्तन करे, माता-पिता बच्चों के मित्र बनें।

आंबेडकर विवि की कुलपति आशुरानी ने पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिए महिलाओं को घरेलू टिप्स दिए। कहा कि पॉलीथिन का प्रयोग न करें, बाजार जाते समय घर से कपड़े का थैला लेकर निकलें। फ्रिज का कम प्रयोग करें। फ्रिज के बजाय घड़े के पानी का प्रयोग करें। घर ही नहीं अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ और सुंदर बनाए रखने का प्रयास करें।

अतिथियों का स्वागत करते हुए पश्चिम महानगर की संयोजिका प्रीति उपाध्याय व प्रांत संयोजिता रेनुका डंग ने कहा कि हर बहन को समाज में निकलना है। 50 प्रतिशत पुरुषों के साथ 50 फीसदी महिलाएं भी काम करें तो देश 100 प्रतिशत की स्पीड से दौड़ेगा।

कार्यक्रम में चैन्नई से आई भरतनाट्यम की अन्तर्राष्ट्रीय कलाकार वैष्णवी शर्मा ने मातृशक्ति पर प्रस्तुति दी, डॉ. रुचि चतुर्वेदी ने कविता पाठ किया। संचालन अलका सिंह ने किया।

कार्यक्रम में मौजूद ब्रह्मकुमारी बहन ममता, सोमनाथ धाम के योगी रुद्रनाथ, कैलाश मंदिर के महन्त निर्मल गिरि, भंते धर्मवीर को कैबिनेट मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मुख्य रूप से भवेन्द्र शर्मा, श्याम किशोर, मधु बघेल राष्ट्रीय सेविका समिति की सह बौद्धिक प्रमुख नीलिमा रानी, सेवा भारती की प्रांत उपाध्यक्ष निर्मला सिंह, बैकुण्डी देवी की प्राचार्य पूनम सिंह. डॉ. सिमरन उपाध्याय, अशोक कुलश्रेष्ठ, राजन सिंह, भारत भूषण, दिलीप, संजय शर्मा, विनीत शर्मा आदि मौजूद रहे।

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