मून ब्रेकिंग। करवाचौथ का व्रत खास तौर से चांद का पर्व होता है. महिलाएं चांद को देखकर अर्घ्य देकर व पूजन करके ही अपना व्रत खोलती हैं. यही कारण है कि दिनभर के व्रत के बाद जैसे-जैसे पूजन का समय नजदीक आता है, वैसे-वैसे चांद निकलने का इंतजार बड़ी बेसब्री से किया जाता है. हर किसी पूजा का विशेष समय होता है. ठीक ऐसे ही करवाचौथ में चांद की पूजा करने का भी विशेष शुभ मुहूर्त होता है. करवा चौथ पर इस बार महिलाओं को पूजा के लिए सिर्फ 1 घंटा 16 मिनट का समय ही मिलेगा.
करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि में रखा जाता है. पति की लंबी आयु के लिए रखा जाने वाला यह व्रत चंद्रोदय व्यापिनी तिथि में करना चाहिए. इस बार करवा चौथ का व्रत 8 अक्तूबर को रखा जाएगा. चतुर्थी तिथि का प्रारंभ आठ अक्तूबर को शाम 4.58 मिनट पर होगा. इस तिथि का समापन नौ अक्तूबर को मध्याह्न 2.16 मिनट पर होगा. इस बार चंद्रोदय 8 अक्तूबर को रात्रि 8.10 मिनट पर हो रहा है. आचार्य अरविन्द मिश्र के अनुसार करवा चौथ पर पूजा का मुहूर्त शाम 5.54 मिनट से शाम 7.10 मिनट तक शुभ रहेगा. इस अवधि में शुभ की चौघड़िया एवं सूर्य की होरा रहेगी. रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर इस व्रत का समापन किया जाता है. चतुर्थी के देवता भगवान गणेश हैं.
इस व्रत में गणेश जी के अलावा शिव-पार्वती, कार्तिकेय और चंद्रमा की भी पूजा की जाती है. इस दिन गेहूं अथवा चावल के 13 दानें हाथ में लेकर कथा सुननी चाहिए. मिट्टी के करवे में गेहूं, ढक्कन में चीनी एवं उसके ऊपर वस्त्र आदि रखकर सास, जेठानी को देना चाहिए. रात में चंद्रमा उदय होने पर छलनी की ओट में चंद्रमा का दर्शन करके अर्घ्य देने के पश्चात व्रत खोलना शुभप्रद रहता है. शास्त्रों के अनुसार महाभारत काल में द्रोपदी ने अर्जुन के लिए यह व्रत किया था.
वहीं व्रत रखने वाली स्त्री को काले और सफेद कपड़े पहनने से बचना चाहिए. इस दिन लाल और पीले रंग के कपड़े पहनना विशेष फलदायी होता है. इस दिन महिलाओं को चाहिए कि वे पूर्ण श्रृंगार करें और अच्छा भोजन खाएं. इस दिन पति की लंबी उम्र के साथ संतान सुख भी मिल सकता है.