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आगरा। अब इससे ज्यादा क्या लिखूं, सब कुछ तो उन्होंने ही लिख दिया। लेखन की दुनिया में उनसे बड़ा नाम कौन है, जिसके लिए आज पूरा जहां नमन करता है। 12 साल की लंबे लेखन कार्य में (पत्रकारिता) आज मेरी कलम बेकार है, क्यूंकि उनके लिए क्या लिखूं जिनका जीवन ही लिखे में चला गया। मेरे पास लिखने के लिए बहुत कुछ था, मगर आज गोपालदास नीरज के लिए शब्द नहीं है। अंतिमक्षण आखिरी लम्हे बस लोग यही कह रहे हैं, महाकवि गोपालदास नीरज को आखरी नमन। काव्य जगत के लिए ये एक ऐसा नुकसान है। जिसकी भरपाई ना हो पाएगी और यही लिखते-लिखते मेरी कलम रुक जाएगी….