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दोषियों पर जांच के नाम पर लीपापोती करता है ये विभाग

by pawan sharma

आगरा। एत्मादपुर का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इन दिनों अपने लचर व लापरवाही के रवैया को लेकर पिछले 3 माह से विवादों में है। फिर वह चाहे लाखों आयरन की गोलियां जलाए जाने का मामला हो या महिला का खुले में प्रसव कराए जाने का। लेकिन मुख्य चिकित्सा अधिकारी मुकेश वत्स हर मामले में जांच की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।

दरअसल बीते रविवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें एक महिला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एत्मादपुर के गेट पर बच्चे को जन्म देती हुई नजर आ रही थी। यह वीडियो महिला के साथ आए उसके भाई ने वायरल किया था जिसके बाद अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच गया था और यह खबरें उत्तर प्रदेश के हर चैनल और हर अखबार में सुर्खियां बन गई। रविवार से ही लगातार अस्पताल में जांच टीमें आ रही हैं और जांच के बाद कार्यवाही की बात कह कर वापस लौट रही हैं। फिर वह चाहे टीमें आगरा की हो या लखनऊ की।

वीडियो वायरल होने के तुरंत बाद रविवार को देर रात एसीएमओ के नेतृत्व में 2 सदस्य टीम ने अस्पताल में जांच की। फिर सोमवार को एक और टीम ने अस्पताल में जांच के नाम पर डेरा डाल दिया। उसी क्रम में मंगलवार को लखनऊ टीम जांच के लिए पहुंची लेकिन उनका कहना था कि वीडियो वायरल मामले से उनका कोई संबंध नहीं है। इसकी जांच सीएमओ आगरा द्वारा की जा रही है। इसके बाद आज बुधवार सुबह 9 बजे ही मुख्य चिकित्सा अधिकारी मुकेश वत्स एत्मादपुर सीएचसी पहुंचे और लेट आए कर्मचारियों और डॉक्टरों को जमकर लताड़ लगाई। जब उनसे वीडियो वायरल मामले के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टया जांच में दोषी पाई गई नर्स को स्थानांतरित कर बाकी सीएससी में भेजा गया है। बाकी अभी जांच चल रही है। दोषियों पर कार्यवाही होगी।

सीएमओ का कहना था कि वीडियो वायरल वाली महिला को अस्पताल में प्रवेश दिया गया था। वह बहुत देर तक बैठने से होने के कारण बाहर टहलने गई थी जहां प्रसव हो गया। उसके बाद उसे दोबारा अंदर लाकर पूर्ण जांच करने के बाद छुट्टी दी गई। वहीं करीब 3 महीने पहले अस्पताल में आयरन सहित अन्य प्रकार की गोलियों को जलाए जाने के मामले में सीएमओ आगरा का कहना था कि जिन मौजूदा एसीएमओ को उक्त प्रकरण की जांच दी गई थी। उनका स्थानांतरण मथुरा में मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पद पर हो गया है जिससे जांच में रुकावट आई है। जांच को दोबारा शुरू कर कार्यवाही की जाएगी।

कुल मिलाकर सरकारी दवाओं को जलाए जाने और खुले में महिला के प्रसव के मामले में अब तक मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यवाही के नाम पर लीपापोती करते नजर आ रहे हैं। दवाएं जलाए जाने के मामले में 3 महीने बाद भी जांच को पुनः शुरू करने की बात केवल मजाक नजर आती है।

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