आगरा। एससी/एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद से देश की राजनीति में भूचाल आ गया है। इस आदेश के बाद जहा संसद और उसके बहार कोर्ट के इस आदेश के विरोध में हंगामा हो रहा है तो वहीं इसे दलित उत्पीड़न के नजरिये से देखा जा रहा है। विपक्ष भी इस आदेश को लेकर भाजपा सरकार को घेर रही है।
इस सम्बन्ध में दलित वोट को साधने के लिए केंद्रीय कानून मंत्रालय एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की बात कह रहा हो लेकिन इससे पहले ही आगरा से सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल हो गयी है। यह याचिका अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य और एनएसयूआई के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव अमित सिंह ने दाखिल की है।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य अमित सिंह का कहना है कि पूरे देश के दलितों की आवाज को दबाने का प्रयास किया है। क्योंकि कोर्ट के इस आदेश के बाद दलित समाज अपने आप को असहज महसूस कर रहा है। इस आदेश से एक बार फिर सामंत व्यस्था लागू होने का डर है।
अमित सिंह का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एससी/एसटी उत्पीड़न का मामला दर्ज होने पर आरोपी की तुरंत गिरफ़्तारी नहीं होगी। आरोपी इस मामले में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकेगा।
सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के दुरुपयोग की आशंका के मद्देनजर उनकी गिरफ्तारी से पहले उनके विभाग के सक्षम अधिकारी की मंजूरी लेनी होगी और बाकी लोगों को गिरफ्तार करने के लिए जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की इजाजत जरूरी होगी। इस एक्ट के तहत शिकायत मिलने पर डीएसपी स्तर के अधिकारी प्राथमिक जांच करेंगे जिसके बाद ही आगे की कार्यवाही होगी।