आगरा। एत्मादपुर तहसील परिसर में आज चकबंदी निरस्त करने के साथ अन्य किसान संबंधी समस्याओं को लेकर किसानों ने भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले हजारों की संख्या में महिलाओं बच्चों और बुजुर्गों सहित किसानों ने धरना शुरू कर दिया। जिलाधिकारी के बार बार समझाने के बावजूद किसानों ने धरना से हटने का निर्णय कर दिया साथ ही ऐलान कर दिया कि जब तक उनकी मांगे नहीं मानी जाती तब तक विसर्जन में बैठे रहेंगे और कल से अपने पशुओं को भी तहसील परिसर में बांध देंगे।
दरअसल एत्मादपुर तहसील के गांव मुरथर अलीपुर में चकबंदी की समस्या को लेकर किसान भारतीय किसान यूनियन के नेताओं के साथ आज सोमवार को धरने पर बैठ गए। किसानों का कहना था कि गांव में चल रही चकबंदी की प्रक्रिया से हम संतुष्ट नहीं हैं क्योंकि पिछले दिनों से चल रही चकबंदी प्रक्रिया से दलालों से लेकर चकबंदी अधिकारी भ्रष्टाचार अन्याय कर रहे हैं। जिस किसान का खेत सड़क के किनारे है अगर उसने पैसा नहीं दिया तो उसका खेतुसर में डाल दिया जाता है इसलिए हम चकबंदी संतुष्ट नहीं हैं।
आपको बताते चलें कि पिछले करीब 1 वर्ष से चकबंदी को लेकर गांव मुरथर अलीपुर में किसान दो गुटों में बट गए हैं। हाल ही में क्षेत्र के आवल खेड़ा गांव में आयोजित सांसद रामशंकर कठेरिया की सभा में इसी समस्या को लेकर जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के सामने किसान भिड़ गए थे लेकिन 1 साल से न तो प्रशासन और न ही कोई जनप्रतिनिधि किसानों की इस समस्या का कोई निदान निकाल पाया है। किसानों की बेसब्री का पाठ उस समय टूट गया जब चकबंदी में अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार करने की बात सामने आई। इसके बाद किसान बच्चों महिलाओं बुजुर्गों के सहित सोमवार दोपहर को तहसील परिसर में हजारों की संख्या में एकत्रित हो गए और अपनी मांगों पर अड़ गए।
धरना प्रदर्शन भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष, जिलाध्यक्ष और गांव के सैकड़ों किसानों तथा उनके परिजनों के द्वारा तहसील परिसर में ही शुरू कर दिया गया। उप जिलाधिकारी अभिषेक कुमार सिंह ने किसानों को समझाने की कोशिश की लेकिन किसान मानने को तैयार नहीं हुए। और जिलाधिकारी को मौके पर बुलाने की मांग करने लगे। धूप और गर्मी से बेहाल महिला और बच्चे तहसील परिसर में डटे रहे। कई बच्चे तो गर्मी से अत्यधिक बेहाल दिखाई दिए।
करीब 3 घंटे धरना प्रदर्शन के बाद उप जिलाधिकारी ने किसान नेताओं को कार्यालय में बुलाकर बातचीत की जहां दोषी चकबंदी लेखपाल के खिलाफ जांच करने और जब तक कोई शासन द्वारा ठोस निर्णय ना जाए तब तक चकबंदी को रोकने का आश्वासन दिया। उप जिला अधिकारी तथा चकबंदी अधिकारियों से आश्वासन पाकर किसानों ने धरना तो खत्म कर दिया लेकिन किसान नेताओं का कहना था कि गांव में चकबंदी बिल्कुल नहीं होगी चाहे शासन निर्णय कोई भी हो। अगर आज के बाद चकबंदी के लिए कोई भी शासन का कर्मचारी खेतों का नाप तोल के लिए पहुंचा तो उसे बंधक बना लिया जाएगा।