आगरा। यह भारत के किसान की असली हकीकत है कि किसान राजनीतिक पोस्टरों पर अन्नदाता के नाम से जाना जाता है और उनके नाम पर सरकारें बनती बिगड़ जाती हैं लेकिन हकीकत कुछ और ही होती है। हालात ये हैं कि अब किसानों को अपनी बात कहने के लिए अधिकारियों के सामने घुटनों के बल चलकर आना पड़ रहा है। घुटनों के बल इसलिए चल कर आ रहे हैं क्योंकि एड़िया रगड़ रगड़ कर के थक चुके हैं।
दरअसल मामला यह है कि पिछले 26 महीने से धरने प्रदर्शन के बावजूद भी रिंग रोड पर जमीन अधिग्रहण पर मुआवजे की कोई सुनवाई नहीं हुई और अधिकारियों ने कोई तवज्जो नहीं दी तो मजबूरन आगरा आए प्रमुख सचिव आवास के पास इन किसानों को घुटने के बल चल कर आना पड़ा। फिर भी अधिकारियोँ का दिल नहीं पसीजा। सर्किट हाउस के बाहर घंटों इनको केवल इस बात के लिए इंतजार करवा दिया गया कि अभी अधिकारी मीटिंग में है और फिर लंच कर रहे हैं।
महिला किसान सावित्री चाहर ने बताया कि पिछले काफी समय से अपनी समस्याओं को लेकर तहसील से लेकर मंडल तक के अधिकारियों को भी अपना ज्ञापन दे चुके हैं और समस्या बता चुके हैं लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। किसानों को उचित मुआवजा नहीं दिया जा रहा है जबकि उनके नाम पर बड़े पैमाने पर हेरा फेरी कर दी गई है।
वहीं किसान नेता श्यामवीर सिंह चाहर ने बताया कि इनर रिंग रोड के किसानों को सही तरह से मुआवजा नहीं दिया गया जबकि उन्हीं किसानों की जमीन की रजिस्ट्री का करोड़ों में हुई है और किसानों को कुछ लाख रुपए देकर ही ठहराया जा रहा है। इस बात के लिए श्याम सिंह चाहर ने सीधे-सीधे को आरोपी ठहराया है।