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दंपति द्वारा आग लगाकर आत्महत्या करने के बाद भी नहीं सुधरा प्रशासन, एक और महिला ने मांगी इच्छा मृत्यु

by admin

मथुरा। किसान जिसे हम अक्सर अन्नदाता के नाम से पुकारते हैं। आज उस किसान की इतनी दुर्दशा होती चली जा रही है कि अब वो इच्छा मृत्यु के लिए प्रार्थना पत्र लेकर प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यालयों की चक्कर लगा रहे हैं। सरकारी बैंक और गांव के साहूकार व महाजनों से खेती के लिए लिया गया कर्ज वापस ना होने पर सरकारी बैंक के अधिकारियों और महाजनों ने इनका जीना दुश्वार कर दिया है। ऐसा ही एक मामला मथुरा के जमुना नगर नेगा बांगर बलदेव का है।

जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर खड़ी यह महिला किसान है। साहूकारों और सरकारी बैंकों की कर्ज वसूली से परेशान यह महिला हाथों में इच्छा मृत्यु की मांग को लेकर प्रार्थना पत्र लेकर प्रशासनिक अधिकारियों के चक्कर लगा रही है लेकिन प्रशासनिक अधिकारी इस पीड़िता महिला की सुनवाई करने को समय नही है जिससे महिला परेशान है।

बताया जाता है कि पीड़ित महिला विद्यादेवी जो अपने पति के साथ खेती करके परिवार का भरण पोषण करती थी। सन 2013 में अच्छी फसल की उम्मीद को लेकर पीड़ित ने सरकारी बैंक से 3.5 लाख का लोन लिया था। इसी बीच पति की तबीयत बिगड़ी और पता चला कि पति को कैंसर है तो खेती के लिए लिया गया लोन पति के इलाज में खर्च हो गया लेकिन इसके बावजूद भी पति नहीं बच सका और उसकी मौत हो गई। पति की मौत के बाद इस पीड़िता पर दुखों का कहर टूट पड़ा। एक तरफ दामाद ने बेटी को छोड़ दिया तो सरकारी बैंक वाले भी लोन की रिकवरी के लिए दबाव डालने लगे।

इस दबाव को देखते हुए पीड़िता ने गांव के ही साहूकार और महाजनों से 2015 16 में ब्याज पर ऋण लिया। उस कर्ज से वह सरकारी बैंक से लिए गए लोन की ब्याज चुकाना शुरू कर दिया। इस बीच साहूकारों और महाजनों से लिया गया लोन भी दुगना हो गया। मां पर कर्जा बढ़ता देख सबसे बड़े बेटे ने मां का साथ छोड़ दिया तो छोटा बेटा मजदूरी कर परिवार का सहारा बना लेकिन कर्ज पर लिया गया लोन और उसकी ब्याज छोटे बेटे की मजदूरी पर भारी पड़ गयी। लगातार बैंक और साहूकार अपनी जान को वापस लेने के लिए पीड़िता पर दबाव डालने लगे। घर की बिगड़ती स्थिति को देख इस पीड़िता ने आखिरकार महामहिम राष्ट्रपति महोदय के नाम पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है।

इच्छा मृत्यु की मांग को लेकर पीड़िता लगातार जिला अधिकारी कार्यालय के चक्कर काट रही है लेकिन जिलाधिकारी के साथ प्रशासनिक अधिकारियों को भी इस पीड़िता की समस्या सुनने का समय नहीं है।

फिलहाल कुछ भी हो लेकिन इस समय जो दुर्दशा कर्ज को लेकर किसानों की है वह किसी से छिपी नहीं है लेकिन इसके बावजूद भी किसानों के साथ होने का दम भरने वाली सरकार को पता नहीं क्यों पात्र किसानों की आवाज सुनाई नहीं देती जिससे वह आत्महत्या करने को मजबूर हो जाते हैं।

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