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बिछड़े श्याम के घर तक पहुंचे समाज सेवी नरेश पारस, भावुक परिजन बोले मेरे श्याम से मिला दो

by pawan sharma

आगरा। मध्य प्रदेश के एक बाल गृह में निरुद्ध 15 वर्षीय मंदबुद्धि श्याम करीब 1 महीने से अपने परिवार से मिलने को बेताब था। मंदबुद्धि होने के कारण वह अपना नाम पता सही से नहीं बता पा रहा था। यह मामला चाइल्ड राइट संस्था के संज्ञान में आया तो श्याम से अधिक से अधिक जानकारी करने की कोशिश की गई लेकिन श्याम सिर्फ अपना नाम श्याम और पिता का नाम राजवीर और आगरा का गांव बिहारीपुरा पता बता पाया लेकिन पूरे जिला आगरा में बिहारी पुरा गांव को ढूंढना अत्यंत कठिन था। संस्था ने आगरा के जाने-माने समाजसेवी और चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट नरेश पारस से संपर्क किया। फिर क्या था नरेश पारस जी ने श्याम को उसके परिवार से मिलाने की ठान ली और परिवार को ढूंढने की मुहिम शुरू कर दी।

मध्य प्रदेश से मजिस्ट्रेट द्वारा अनाथालय में रह रहे श्याम की फोटो को सार्वजनिक करने की अनुमति लेकर श्याम के परिजनों से मिलाने की कोशिश सोशल मीडिया पर शुरू कर दी। श्याम की जानकारी सोशल मीडिया पर पहुंचते ही आपके न्यूज़ चैनल मून ब्रेकिंग की टीम के सदस्य और एत्मादपुर के एक प्रतिष्ठित अखबार के पत्रकार की जानकारी में मामला आया। दोनों पत्रकारों ने भी सोशल मीडिया पर ही मुहिम को शुरू किया तो कुछ हद तक सफलता हासिल हुई और यह पता चला कि श्याम पुत्र राजवीर सिंह एत्मादपुर तहसील की ग्राम पंचायत सवाई के गांव बिहारीपुर का रहने वाला है।

नरेश पारस आज दिनांक 25 अक्टूबर को मून ब्रेकिंग टीम के सदस्य के साथ श्याम के परिवार को खोजने गांव बिहारीपुर पहुंचे तो श्याम के घर पर ताला लटका था और घर खंडहर में तब्दील होने की कगार पर था। पड़ोसियों ने बताया है कि श्याम के पिता राजबीर घर पर नहीं है और उसके घर कोई नहीं रहता। मोबाइल में श्याम का फोटो दिखाते ही ग्रामीण भावुक हो गए और श्याम को प्यार से श्यामा कहते हुए कहने लगे कि भगवान का दिया हुआ इसके यहां सब कुछ है सिवाय बुद्धि के।

श्याम के परिवार के एक दादा लाखन सिंह ने बताया कि दुर्भाग्यवश श्याम की माता का स्वर्गवास श्याम के जन्म होते ही हो गया और पिता भी मंदबुद्धि हैं जो रिक्शा चलाकर अपना पेट पालन करते हैं। श्याम का एक बड़ा भाई है जो कहीं बाहर मजदूरी करता है। कुल मिलाकर श्याम आस पड़ोस में मांग कर खा कर अपना पेट भरता है। समाज सेवी नरेश पारस ने मध्य प्रदेश की अनाथालय में फोन कर श्याम की बात उसके दादा लाखन सिंह से कराई तो श्याम रोते हुए कहने लगा कि दादा मुझे यहां से ले जाओ। मैं रास्ता भूल कर यहां आ गया हूं। लाखन सिंह का कहना था कि वह वृद्ध व्यक्ति हैं वह किस तरह मध्य प्रदेश तक जाएं यह नहीं मालूम इसलिए उसने नरेश पारस से आग्रह किया कि किसी तरह श्याम को उसके परिजनों से मिला दिया जाए।

श्याम से फोन पर कई पड़ोसी महिलाओं ने भी बातचीत की तो श्याम की भावुकता को देखते हुए कुछ पड़ोसी भी सामने निकल कर आए और कहने लगे कि नरेश जी आप किसी तरह श्याम को वापस भिजवा दीजिए। आगे की देखभाल हम पूरी तरह करेंगे। जिसके बाद नरेश पारस जी ने पड़ोसियों और परिजनों को आश्वासन दिया कि वह श्याम को अनाथालय से वापस लाने की प्रक्रिया आज से ही शुरू कर देंगे।

रिपोर्ट- पवन शर्मा एत्मादपुर आगरा

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