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बृज में शुरू हुआ लट्ठमार होली महोत्सव, देश-विदेश से होली खेलने पहुंचने लगे लोग

by pawan sharma

आगरा। मथुरा बरसाने की होली पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है और देश विदेश से पर्यटक इस होली में शामिल होने के लिए भारी संख्या में मथुरा पहुँचते है। मथुरा में होली उत्सव की शुरुआत हो चुकी है। मथुरा के वाशिंदे जमकर लठ्ठ मार होली का आनंद ले रहे है। शनिवार को बरसाने की गलियों में लठ्ठ मार होली हुई।

बरसाना में जाकर राधा रानी की सखियों के लठ्ठों से घायल हुए हुरियारों का नंदगांव की हुरियारनो ने लठ्ठों से हिसाब लिया। इतना ही नही रंग गुलाल और अरीब नंदगांव में जमकर उड़ा। जिसमे हर व्यक्ति रंगा हुआ नजर आया।

ब्रज की होली श्री कृष्ण और राधा के पवित्र प्रेम को सर्मपित एक अदभुत होली होती है। वैसे ब्रज में होली एक ख़ास मस्ती भरी होती है क्योंकि इसे कृष्ण और राधा के प्रेम से जोड़ कर मनाया जाता है। उस पर से लठमार होली का रंग तो बिलकुल हट कर होता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि लठामार होली खेलने की शुरुआत भगवान कृष्ण और राधा रानी के समय से हुई थी। मान्यता है कि भगवान कृष्ण अपने सखाओं के साथ बरसाने होली खेलने पहुंच जाया करते थे। कृष्ण और उनके सखा यहां राधा और उनकी सखियों के साथ ठिठोली किया करते थे, जिस बात से नाराज होकर राधा और उनकी सभी सखियां ग्वालों पर डंडे बरसाया करती थीं। लाठियों के इस वार से बचने के लिए कृष्ण और उनके दोस्त ढालों और लाठी का प्रयोग करते थे। प्रेम के साथ होली खेलने का ये तरीका धीरे-धीरे परंपरा बन गया।

विभिन्न मंदिरों में पूजा अर्चना के पश्चात नंदगांव के पुरुष होली खेलने बरसाना गांव में आते हैं। इन पुरूषों को होरियारे कहा जाता है। बरसाना की लट्ठमार होली के बाद अगले दिन बरसाना के हुरियार नंदगांव की हुरियारिनों से होली खेलने उनके यहां पहुंचते हैं। इन गांवों के लोगों का विश्वास है कि होली का लाठियों से किसी को चोट नहीं लगती है।

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