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फर्जी सेवायोजन कार्यालय चलाकर ठगे दो करोड़ से अधिक, आई.जी आगरा की स्पेशल टीम ने किया खुलासा

by admin

आगरा । पत्रकार बनकर ठगी व अन्य संगीन अपराधों को अंजाम देने वाले गिरोह का आई.जी आगरा की क्राइम ब्रांच ने भांड़ाफोड़ किया है। स्पेशल टीम के हत्थे चढ़े सभी आरोपी नौकरी के नाम पर लोगों को चूना लगाते थे और लाखों रूपए वसूल कर नौ दो ग्यारह हो जाते थे। आईजी आगरा की स्पेशल पुलिस टीम ने शातिरों से फर्जी आधार-कार्ड, पैन-कार्ड, बैंक पास-बुक, एटीएम कार्ड के साथ ही अवैध असलाह भी बरामद किए है। पत्रकारिता की आड़ में इस कारोबारों को जीजा-साले का एक गिरोह का संचालन कर रहे थे जिसमे कई लोग शामिल थे। अलग-अलग राज्यों के नामचीन अखबारों में नौकरी के लिए विज्ञापन देकर आरोपी अपने शिकार को निशाना बनाते थे।

पुलिस के मुताबिक इस पूरे गिरोह का संचालन तथाकथित पत्रकार मुकेश बाबू संचालित कर रहा था। इसके लिए उसने सेवायोजन कार्यालय बनाकर रखा था। पुलिस के हत्थे चढ़ा मुकेश बाबू,भाई विजयकांत, साले कृष्णवीर और पत्नी कृष्णा उर्फ छोटी के साथ मिलकर ठगी की वारदातों को अंजाम देता था। पुलिस के हत्थे चढ़े सभी बदमाश इस पूरे गैंग का संचालन ग्रामीण अंचलो से करते थे क्योकि गांव में जल्द ही पुलिस हाथ नही डालती और ठगी का शिकार बने लोग भी पुलिस के पास जल्दी नही जाते है। खुद को पत्रकार कहने वाले आरोपी मुकेश बाबू ने अपने साले के साथ मिलकर ठगी के इस धंधे की जड़ो को दूर राज्यों तक फैला दिया था। पुलिस ने तथाकथित पत्रकार मुकेश बाबू,भाई विजयकांत, और कृष्णवीर को गिरफ्तार कर लिया है। ठगी से होने वाली कमाई का बड़ा हिस्सा मुकेश अपनी अय्याशियों पर खर्च करता था। पुलिस टीम को अभी इस गिरोह से जुडे भूरा, सुरेन्द्र, कमलेश, राजवीर सहित कुछ और शातिरों की भी तलाश है।

आईजी रेंज ए सतीश गणेश ने बताया कि नौकरी के नाम पर लगातार बढ़ रही ठगी की शिकायतों को देखते हुए स्पेशल टीम को इन अपराधों के खुलासे के लिए लगाया था जिसमे उसे सफलता भी हाथ लगी है। आईजी रेंज ने बताया मुंबई निवासी जोयल व अहमदाबाद निवासी भूमि सोनी सहित कई लोगो ने ईमेल के माध्यम से साइबर सेल को शिकायत भेजी थी। स्पेशल टीम ने मुम्बई और गुजरात से प्राप्त हुए शिकायती पत्रो का गहन अवलोकन करने के बाद शातिरों की तलाश शुरू की। महाराष्ट्र, गुजरात सहित कई राज्यों के मुख्य समाचार-पत्रों में नौकरी के नाम पर दिए गए विज्ञापनों की मानिटरिंग शुरू हुई और इन विज्ञापनों के जरिए होने वाली कमाई का बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश के बैंक एकाउंट में जमा होने पर पुलिस टीम ने सक्रिय हुई और कार्यवाही को अंजाम दिया।

पुलिस टीम के हत्थे चढ़े सभी अपराधी बेहद शातिर है। सभी शातिर ने बैंक खातों से लेकर फोन नम्बर भी फर्जी आईडी पर संचालित करा रखे थे। फर्जी पहचान-पत्र और फर्जी निवास प्रमाण-पत्र होने के चलते पुलिस का शातिरों के नजदीक पहुंचना कठिन हो रहा था। ऐसे में पुलिस टीम ने फर्जी बैंक खातों से दूसरे बैंक-खातों में ट्रांसफर होने वाली नगद राशि की मानिटरिंग की और इस पूरे शातिर गिरोह का भांडाफोड़ किया। समाचार-पत्रों में विज्ञापन निकलवाने के लिए आंन-लाइन सम्पर्क किया जाता और आंन-लाइन ही रूपयों का लेन-देन किया जाता था।

आईजी की स्पेशल पुलिस टीम ने शातिरों से 18 मोबाइल फोन,1 इंटरनेट डांगल, 10 बैंक पासबुक, डेबिट कार्ड सहित अवैध असलाह भी बरामद किए है। पुलिस टीम की अगुवाई इंस्पेक्टर शैलेश सिंह ने की। इंस्पेक्टर शैलेश के अलावा एसआई विनय भारद्वाज,एएसआईएम विशाल शर्मा सहित आधा दर्जन पुलिसकर्मियों की मुख्य भूमिका रही। आई.जी. आगरा ए.सतीश गणेश की ओर से इस शातिर गिरोह को जेल की सलाखों के पीछे पहुँचाने वाली टीम को 25 हजार रूपए का इनाम दिया गया है।

आईजी रेंज ने बताया कि विज्ञापन देखने के बाद जब कोई व्यक्ति इनसे संपर्क करता था तो उससे 500 रुपये फीस पंजीकरण के नाम पर लिए जाते थे। फिर उसे एक एसएमएस भेज कर एक माह का वेतन सिक्योरिटी के रूप में जमा करने को कहा जाता था इसके लिए एक एकाउंट नंबर दिया जाता था। नौकरी के चक्कर मे लोग उस एकाउंट में पैसा जमा कर देते थे। 10 सालों से चल रहे इस ठगी के कारोबार से करीब दो करोड़ से अधिक की ठगी की जा चुकी है।

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