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अयोध्या फैसला: विवादित जमीन पर बनेगा राममंदिर, शिया वक्फ़ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा के दावे ख़ारिज

by admin

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया है। शीर्ष अदालत ने विवादित जमीन रामलला विराजमान को दी है। साथ ही सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के लिए अयोध्या में कहीं भी पांच एकड़ जमीन देने को कहा है। अयोध्या मामले पर फैसला सुनाने के दौरान सीजेआई रंजन गोगोई ने शिया वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज कर दी। सीजेआई ने कहा कि इतिहास जरूरी लेकिन कानून सबसे ऊपर है। आधीरात में विवादित प्रतिमा रखी गई।

सीजेआई रंजन गोगोई ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि सभी धर्मों को समान नजर से देखना सरकार का काम है। अदालत आस्था से ऊपर एक धर्म निरपेक्ष संस्था हैं। सीजेआई ने कहा कि इतिहास जरूरी है लेकिन इन सबमें कानून सबसे ऊपर है, सभी जजों ने आम सहमति से फैसला लिया है।

वहीं, कोर्ट में निर्मोही अखाड़ा के सभी दावे खारिज हो गए हैं। सीजेआई रंजन गोगोई ने राम लला विराजमान को कानूनी मान्यता दी, लेकिन राम जन्मभूमि को न्यायिक व्यक्ति नहीं माना। उन्होंने कहा कि खुदाई में मिला ढांचा गैर-इस्लामिक था। हम एएसआई की रिपोर्ट को खारिज नहीं कर सकते। एएसआई ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा कि मंदिर तोड़कर ढांचा बना था। एएसआई को मंदिर के सबूत भी मिले हैं।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुबह 10.30 बजे अपना फैसला सुनाना शुरू किया। सीजेआई ने कहा बाबर के समय मीर बाकी ने मस्जिद बनवाई थी। 1949 में दो मूर्तियां रखी गई थी। बाबरी मस्जिद खाली स्थान पर नहीं बल्कि हिंदू स्ट्रक्चर के ऊपर बनाई गई। यह मस्जिद समतल स्थान पर नहीं बनाई गई।

एसआई की खुदाई में 21वीं सदी में मंदिर के साक्ष्य मिले है। सीजेआई ने कहा की खुदाई के साक्ष्यों को अनदेखा नहीं कर सकते हैं। खुदाई में इस्लामिक ढांचे के सबूत नहीं मिले थे। सीजेआई ने यह भी कहा कि अंग्रेजों के आने से पहले हिंदू वहां राम चबूतरे और सीता रसोई पर पूजा होती रही थी। ऐसे में कोर्ट ने विवादित स्थल का अंदरूनी और बाहरी चबूतरा ट्रस्ट को देने का अदेश दिया।

सीजेआई ने कहा है कि एएसाई की खुदाई में जो चीजें मिली हैं उसे हम खारिज नहीं कर सकते हैं। आस्था और विश्वास पर कोई सवाल नहीं है। सीजेआई ने कहा श्रीराम का जन्म अयोध्या में ही हुआ था इसमें कोई शक नहीं है। ऐसे में रामलला को कानूनी मान्यता दी जाती है।

सीजेआई ने कहा कि 1856 से 57 तक उस स्थान पर हिंदुओं को पूजा करने से रोका नहीं गया था। सदियों से हिंदुओं द्वारा वहां पूजा किए जाना यह साबित करता है कि उनका विश्वास है। उस स्थान पर रामलला विराजमान है। सीजेआई ने कहा कि बाहरी प्रांगण में हिंदू पूजा करते रहे हैं।

हाईकोर्ट ने इस मामले के तीन हिस्से किए ये तार्किक नहीं है। केंद्र सरकार तीन महीने में मंदिर निर्माण की योजना बनाकर रिपोर्ट प्रस्तुत करे। कोर्ट मुस्लिम पक्ष को दूसरी जगह जमीन देने का आदेश देते हुए कहा कि मुस्लिम पक्ष को दूसरी जगह 5 एकड़ जमीन दी जाए।

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