Home » जन्मदिन के दिन ही पंचतत्व में विलीन हुआ शहीद अमित

जन्मदिन के दिन ही पंचतत्व में विलीन हुआ शहीद अमित

by pawan sharma

आगरा। अरुणाचल में उग्रवादियों से लोहा लेते समय शहीद हुए आगरा के लाल अमित का पार्थिव शरीर जैसे ही गांव पहुँचा पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गयी। बीसलपुर गांव के साथ साथ उसके आसपास के गांव के लोग भी शहीद अमित के अंतिम दर्शन के लिए पहुँच गए। फतेहपुर सीकरी सांसद राजकुमार चाहर और खेरागढ़ विधायक महेश गोयल के साथ पुलिस प्रशासन के लोग भी शहीद के अंतिम संस्कार में शामिल हुए। सेना की ओर से सम्मान के साथ अमित के पार्थिव शरीर को लाया गया।

तिरंगे में अपने लाल को देखकर पिता का कॉलेज फट गया तो भाई के साथ साथ परिजनों का रो रोकर बुरा हाल था। इस दृश्य को देखकर वहाँ मौजूद हर किसी की आंख नम थी। सेना के अधिकारियों के साथ साथ जनप्रतिनिधियों, पुलिस अधिकारियों और शहीद के परिजनों ने शहीद अमित को श्रद्धांजलि दी और फिर उसके बाद शहीद अमित का पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। जैसे ही शाहिद अमित के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरु हुई चारो ओर अमित की शहादत और भारत माता के नारे लगने लगे।

शहीद अमित के अंतिम संस्कार के दौरान हर किसी की आंख नम थी। इस दौरान जनप्रतिनिधियों ने शहीद के परिवार को ढांढस बंधाया और उनकी हर संभव मदद का आश्वासन दिया। शहीद अमित के पार्थिव शरीर के गांव पहुँचते ही गांव के युवाओं ने यात्रा निकाली। सभी लोग हाथों में तिरंगा लेकर और भारत माँ के जयकारे लगाते हुए अंतिम संस्कार पहुँचे और शहीद को श्रद्धांजलि दी।

बीसलपुर गांव का लाल अमित शुक्रवार की रात अरुणाचल प्रदेश में उग्रवादियों से लोहा लेते समय शहीद हो गया है। बताया जाता है कि सेना की ओर से उग्रवादियों की सूचना मिलने पर सर्च आपरेशन चलाया जा रहा था। इसी सर्च आपरेशन में अमित को उग्रवादियों की गोली लगी थी जिससे वो गंभीर रूप से घायल हुए थे और उन्होंने दम तोड़ दिया।

शहीद जवान अमित बीसलपुर निवासी रामवीर चतुर्वेदी जो सेना से रिटायर्ड सूबेदार हैं उनका बेटा है। इनके तीनों बेटे सुमित, अमित और अरुण सेना में हैं। तीनों में मझला बेटा अमित अप्रैल 2014 में सेना में भर्ती हुआ था। वह 17 पैरा फील्ड रेजीमेंट में थे।

शहीद जवान अमित के पिता का कहना था कि प्रकृति ने भी क्या खेल खेला है जिस दिन अमित का जन्म हुआ और अपने जन्मदिन कि खुशियों को परिवार के साथ बांटने के लिए आने वाला था लेकिन वो तो नही लेकिन उसका पार्थिव शरीर जरूर आया। जन्मदिन के दिन ही उसका अतिंम संस्कार किया जा रहा है।

शहीद के पिता रामवीर का कहना है कि अमित की शहादत से वो पूरी तरह से टूट गए है लेकिन मुझे अपने पुत्र पर गर्व है क्योंकि भारत माँ की रक्षा करते हुए उसने अपने जीवन की आहुति दी है। पुत्र की इस शहादत ने उनका सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है।

शहीद के परिजनों ने बताया कि अमित अप्रैल में 10 दिन की छुट्टी पर घर आए थे तब उनकी सगाई हुई थी लेकिन शादी की तिथि तय नहीं की और एक मई को वे अरुणाचल प्रदेश चले गए। जब पूरा परिवार उनकी शादी की तैयारी में लगा था उस समय यह बुरी खबर आ गयी। इस घटना ने दो परिवारों की खुशियों को छीन लिया है।

शहीद के अंतिम संस्कार में शामिल हुए फतेहपुर सीकरी सांसद राजकुमार चाहर का कहना है कि यह भूमि भारत माँ पर कुर्बान होने वाले सपूतों की है। अभी तक न जाने यहाँ की मिट्टी में जन्मे कितने लाल भारत की रक्षा में कुर्बान हो चुके है। आज पूरा गांव इस जवान की शहादत पर शोक में है और हर किसी की आंख नम है। इस परिवार के प्रति हमारी संवेदनाये है। परिवार की हर संभव मदद की जाएगी और सरकार से इस शहीद के नाम का स्मारक बनाये जाने की मांग रखी जायेगी। खेरागढ़ विधायक महेश गोयल का कहना है कि आज इस परिवार पर सभी को गर्व है। पिता के साथ साथ तीनो बेटे देश सेवा के लिए समर्पित है ऐसे पिता को सत सत नमन है।

Related Articles

Leave a Comment