आगरा। पिछले कुछ दिनों से आगरा पुलिस के कई वीडियो वायरल हो रहे हैं। जिसमें पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान उठ रहे हैं। गुरुवार को आगरा जिले के पुलिस कप्तान अमित पाठक के कार्यालय से कुछ वीडियो वायरल हुए हैं। इस वीडियो में दो सिपाहियों को लोग घेरने और पकड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
दरअसल मामला धारा 151 में जमानत कराने के दौरान पीड़ित के घर जाने का है। प्राथमिक तौर पर मिली जानकारी के मुताबिक कुछ लोग जिला मुख्यालय में धारा 151 में चालान में जमानत करके बाहर निकल रहे थे। तभी दो पुलिसकर्मियों ने उन पर पिस्टल तानकर गाड़ी में बैठाने का प्रयास किया। आरोप है कि सिपाहियों की डीलिंग ना होने पर उन्हें दोबारा जेल भेजने की धमकी दी जा रही थी। मगर जो लोग कलेक्ट्रेट में धारा 151 में जमानत कराने आए थे। उनके साथ उनके परिवार, नाते रिश्तेदार और कप्तान के सामने बड़ी संख्या में भीड़ और अधिवक्तागण भी शामिल थे।
पिस्टल ताँनने के मामले में भीड़ ने सिपाहियों को घेर लिया। फिर क्या था। सिपाही अपनी जान बचाने के लिए पुलिस कप्तान कार्यालय की ओर दौड़े तो पीछे पीछे भीड़ भी पुलिस कप्तान कार्यालय पर दौड़ी। सिपाहियों को देख हमदर्दी में आए सिपाही पहले उन्हें छुड़ाने और भीड़ पर दबाव बनाने लगे। मगर जब जानकारी में आया कि सिपाहियों ने उन्हें पिस्टल तानकर गाड़ी में बैठाने का प्रयास किया तो अन्य पुलिसकर्मी पीछे हट गए। इसके बाद पुलिसकर्मी जैसे ही बाहर आए भीड़ ने दोबारा उन्हें घेर लिया और अनैतिक कार्य करने पर खरी खोटी सुनाई।
सिपाही अपनी जान बचाने को इधर-उधर भागते नजर आए। भीड़ के चलते उन लोगों की जान तो बच गई जो लोग धारा 151 में चालान करा कर घर जा रहे थे और दोबारा जेल जा सकते थे। मगर सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस वीडियो के बाद पुलिसकर्मियों और दरोगा ऊपर कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान उड़ता है कि आखिरकार पुलिस निर्दोष को कैसे दोषी बनाती है।
हालांकि सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस वीडियो के बाद यह प्रमाणित नहीं हो पाया है कि युवक पर पिस्टल तानने वाले पुलिसकर्मी किस थाने के हैं और मसला क्या है।